Tuesday, December 24, 2024
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When Jaswant Singh thrown the paper in front of PM Atal Bihari Vajpayee during Agra Summit, Yashwant Sinha tells in his book – जब पीएम वाजपेयी के सामने कागज फेंक कर कमरे से तमतमाते बाहर निकल गए थे जसवंत सिंह

जब पीएम वाजपेयी के सामने कागज फेंक कर कमरे से तमतमाते बाहर निकल गए थे जसवंत सिंह

तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने प्रस्ताव दिया कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को भी बैठक में शामिल होना चाहिए.

खास बातें

  • पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन, 6 साल से कॉमा में थे
  • 82 वर्षीय जसवंत बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में थे, अटल-आडवाणी के करीबी थे
  • 2014 में BJP ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, बागी बन निर्दलीय लड़ा था चुनाव

नई दिल्ली:

बात साल 2001 की है. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार थी. विदेश मंत्री जसवंत सिंह (Jaswant Singh) थे. जुलाई के मानसूनी मौसम में आगरा में भारत-पाक शिखर सम्मेलन चल रहा था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ दल-बल के साथ आगरा मे मौजूद थे. पीएम वाजपेयी भी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के सहयोगियों के साथ वहां मौजूद थे. पहला दिन वाजपेयी और मुशर्रफ के बीच सभी मुद्दों पर बातचीत हुई. बाद में उसे मंत्रिमंडल सहयोगियों को भी ब्रीफ किया गया.

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उस सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अपनी किताब ‘रिलेन्टलेस: ऐन बायोग्राफी’ में उस मीटिंग का सिलसिलेवार ढंग से  जिक्र किया है. बतौर सिन्हा दूसरे दिन तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने प्रस्ताव दिया कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को भी बैठक में शामिल होना चाहिए. दोनों पक्ष इस पर सहमत हो गए. पाकिस्तान की तरफ से विदेश मंत्री अब्दुल सत्तार ने हिस्सा लिया. बैठक में कुल चार लोग थे. 

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बतौर सिन्हा, बैठक के बाद जो सहमति बनी, उसका एक ड्राफ्ट बना. जसवंत सिंह ने उस टाइप्ड ड्राफ्ट में अपने हाथों से काट-छांट किया था और उसकी फोटो कॉपी सत्तार को दे दी थी. बाद में उस कॉपी के साथ वो वाजपेयी जी के कमरे में आए. सिन्हा ने लिखा है, “उस कॉपी को आडवाणी जी (तत्कालीन गृह मंत्री) और मैंने (तत्कालीन वित्त मंत्री) देखा. उसमें कुछ अहम मुद्दे छूट गए थे. उदाहरण के तौर पर, मैंने ध्यान दिलाया कि 1972 के शिमला समझौते का गैर-संदर्भ हमें स्वीकार्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह पाकिस्तान के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में निर्णायक मोड़ था. आडवाणी जी ने ड्राफ्ट में सीमा पार आतंकवाद के संदर्भ के अभाव पर कड़ी आपत्ति जताई और ड्राफ्ट में इन्हें शामिल करने का अनुरोध जसवंत सिंह से किया. वाजपेयी जी ने भी हमारे द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर सहमति जताई थी.”

सिन्हा ने किताब में लिखा है, “इस वाकये के बाद जसवंत सिंह अपना आपा खो बैठे थे. पता नहीं, उस वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा था या किस प्रेशर में वो काम कर रहे थे? वो अचानक उठ खड़े हुए और कहने लगे कि इसे मैंने पाकिस्तानी समकक्ष से बातचीत के बाद तैयार किया है. इस प्रस्ताव को नहीं मानने का मतलब है, हमारे ऊपर मंत्रिमंडल का विश्वास नहीं है. इसके बाद वो पीएम वाजपेयी की मौजूदगी में ड्राफ्ट पेपर वहीं फेंककर कमरे से गुस्से में तमतमाते हुए बाहर निकल गए.”

वीडियो: पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन


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