बस्तर राजमहल का मुख्य द्वार.
कोरोना वायरस से पनपी महापारी के कारण आई आपदा की इस घडी में हर हाथ चाहे वह छोटा हो या फिर बड़ा सभी एक दूसरे का सहयोग करने आगे आ रहे हैं.
इलाज से लेकर गरीबों तक दो वक्त का भोजन, राशन के साथ ही जरूरी दवाइयां भी बस्तर में समाज सेवी संस्था से लेकर लोग व्यक्तिगत भी मदद के तौर पर आगे आ रहे हैं. ऐसे में बस्तर राजपरिवार भी कैसे पीछे रहता है. विपदा की इस घड़ी में राजमहल के लोग भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं. राजमहल के अंदर लोगों की मदद के करने के लिए हर दिन राजदरबार में सैकडों की संख्या में राशन सामग्री के पैकेट और ताजी सब्जियां लोगों तक पहुंचाने का काम राजमहल परिवार कर रहा है. राजपरिवार के सदस्य कमल चंन्द भंजदेव स्व महाराजा प्रवीर चंन्द्र भंजदेव को याद कर हर दिन लोगों के घरों में उनकी जरूरतों के मुताबिक मदद का सामन भेज रहे हैं. इस काम में पूरा राजमहल परिवार जुटा हुआ है.
1966 में खुला था दरवाजा
कुछ ऐसी ही आपदा आज से तीन दशक पहले भी बस्तर में आई थी. बताया जाता है कि साल 1966 में बस्तर में भंयकर अकाल पडा था. उस दौरन बस्तर के लोग दाने दाने को मोहताज हो गए थे. उस समय बस्तर रियासत के महाराजा प्रवीर चंन्द भंजदेव ने फरसपाल में एक गुफा के अंदर तीन दिन रहकर यज्ञ किया था और उसके बाद राजमहल का खजाना लोगों की मदद के लिए खोल दिया गया था, जिसको जो मदद की जरूरत उस समय थी वह राजमहल द्धारा लोगो को दी गयी.ये भी पढ़ें:
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First published: April 6, 2020, 6:03 PM IST