Friday, November 8, 2024
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तिहाड़ जेल से कैदियों की रिहाई के लिए PIL, दिल्ली HC 11 मई को करेगा सुनवाई – Coronavirus outbreak lockdown delhi high court pil tihar jail release of prisoners covid 19 news

  • याचिका में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की बैठक जल्द बुलाने की मांग
  • NHRC की सिफारिश पर हुआ था सेंटेंस रिव्यू बोर्ड का गठन

कोरोना वायरस के संकट के बीच दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) लगाई गई है, जिसमें तिहाड़ जेल में बंद कैदियों की जल्द रिहाई की मांग की गई है. इस याचिका में कहा गया कि तिहाड़ जेल में कैदियों की रिहाई के लिए बनाए गया सेंटेंस रिव्यू बोर्ड जल्द अपनी बैठक बुलाए और जो कैदी सजा पूरी करने से पहले रिहा किए जा सकते हैं, उस पर अपना फैसला लिया जाए.

आपको बता दें कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड यह तय करता है कि सजा पूरी होने से पहले किसी कैदी के बेहतर व्यवहार या अन्य कारणों के चलते क्या उसको सजा पूरी होने से पहले रिहा किया जा सकता है. दिल्ली प्रिजन रूल 2018 के मुताबिक साल में 4 बार सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को बैठक करनी होती है, जिनमें यह तय होता है कि तिहाड़ जेल में कितने कैदियों को रिहा किया जा सकता है. इस साल ये बैठक फरवरी में हुई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सेंटेंस रिव्यू बोर्ड साल में 4 बार से ज्यादा इस बैठक को करें, जिससे तिहाड़ जेल में कैदियों की संख्या कम की जा सके. साथ ही उन कैदियों को रिहा किया जा सके, जो रिहाई के लिए उपयुक्त है और उनको ज्यादा इंतजार न करना पड़े.

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दिल्ली हाईकोर्ट इस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. अब इस मामले में 11 मई को सुनवाई होगी. यह याचिका वकील अमित साहनी द्वारा लगाई गई है. दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर सेंटेंस रिव्यू बोर्ड का गठन 2004 में हुआ था. गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले दिल्ली के कैबिनेट मंत्री इस बोर्ड के चेयरमैन होते हैं. इसके अलावा गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट जज और चीफ प्रोबेशन ऑफिसर इसके सदस्य होते हैं.

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इस बोर्ड का मकसद जेल में बंद उन कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है, जिनको सजा पूरी होने से पहले बेहतर व्यवहार के चलते रिहा किया जा सकता है. हालांकि अक्सर देखने में आया कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की बैठक कई बार समय पर नहीं हो पाती है. इसको लेकर कई बाद दिल्ली हाईकोर्ट दिशानिर्देश भी जारी कर चुका है.

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