लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा/धमतरी: आजकल लोग काफी फैशनेबल होते जा रहे है. इस बीच छत्तीसगढ़ के कुछ गांव अपनी पुरानी परंपरा पर चल रहे हैं. ऐसे ही एक रूढिवादी परंपरा धमतरी जिले में देखने को मिल रही है, जिस पर आज के दौर में यकीन करना बहुत मुश्किल है.
धमतरी जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर नगरी ईलाके में संदबाहरा गांव है. इस गांव में 40 से 50 परिवार रहते हैं. हैरानी की बात है कि इस गांव में महिलाएं न तो श्रृंगार करती हैं और न ही खाट पर सोती हैं. यही नहीं, महिलाएं लकड़ी की बनी हुई कोई भी चीज मसलन टेबल और कुर्सी पर नहीं बैठती हैं. वहीं, गांव की विवाहित महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर तक नहीं भरती हैं. ग्रामीणों की मान्यता है कि अगर महिलाएं ऐसा करेंगी, तो उसे कोई न कोई गंभीर बीमारी जरूर हो जाएगी.
यह है परंपरा के पीछे की कहानी
संदबाहरा गांव की महिला दिल कुंवर ने बताया कि गांव में ही एक पहाड़ी है, जहां कारीपठ देवी विराजमान हैं. गांव की देवी श्रृंगार या फिर खाट पर सोने के कारण नाराज हो जाती हैं और गांव पर संकट आ जाता है. साथ ही बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. अगर कोई भी गांव में इसे तोड़ने की गलती करता है, तो गांव में कोई ना कोई परेशानी आ जाती है. दिल कुंवर के मुताबिक, गांव में कोई त्यौहार या शादी हो, लेकिन महिलाए श्रृंगार नहीं करती हैं. वहीं, गांव में महिलाओं को लकड़ी से बने टेबल कुर्सी पर बैठने की मनाही है. हालांकि उनके बैठने के लिए ईंट-सीमेंट के चौरा बनाए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 17:10 IST
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