- अर्चना राव क्रिमिनल कोर्ट में जज नियुक्त की गईं
- जज दीपा की न्यूयॉर्क में सिविल कोर्ट में पुनर्नियुक्ति
भारतीय मूल की 2 महिलाओं को न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डे ब्लास्यिो की ओर से क्रिमिनल और सिविल कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया है.
जज अर्चना राव को क्रिमिनल कोर्ट (आपराधिक न्यायालय) में नियुक्त किया गया है, जबकि 43 वर्षीय जज दीपा अम्बेकर की न्यूयॉर्क में सिविल कोर्ट में पुनर्नियुक्ति की गई है.
पिछले साल पहली बार जज बनीं अर्चना
जज अर्चना राव को पहली बार जनवरी 2019 में अंतरिम सिविल कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था और वह क्रिमिनल कोर्ट में अपनी सेवाएं दे रही हैं. अपनी नियुक्ति से पहले, उन्होंने 17 साल तक न्यूयॉर्क काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कार्यालय में काम किया, जो कि हाल ही में वित्तीय धोखाधड़ी ब्यूरो के ब्यूरो चीफ के रूप में रही थीं.
जज अर्चना राव वासर कॉलेज से स्नातक हैं और फोर्डाम यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से अपनी न्यायिक डॉक्टर की डिग्री हासिल की है.
Two Indian-origin women have been appointed judges to the criminal & civil courts by New York City Mayor Bill de Blasio. Judge Archana Rao was appointed to the Criminal Court, while Judge Deepa Ambekar was reappointed to Civil Court in New York.
— Prasar Bharati News Services (@PBNS_India) January 7, 2020
जज दीपा की पुनर्नियुक्ति
जज दीपा अम्बेकर को पहली बार मई 2018 में अंतरिम सिविल कोर्ट जज के रूप में नियुक्त किया गया था और वह क्रिमिनल कोर्ट में सेवारत हैं.
अपनी नियुक्ति से पहले, जज दीपा अम्बेकर ने न्यूयॉर्क सिटी काउंसिल के साथ एक वरिष्ठ विधायी अटॉर्नी और सार्वजनिक सुरक्षा समिति के वकील के रूप में सेवा की.
जज दीपा अम्बेकर लीगल एड सोसाइटी, क्रिमिनल डिफेंस डिवीजन के साथ स्टाफ अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं. वह मिशिगन विश्वविद्यालय से स्नातक हैं और रटगर्स लॉ स्कूल से अपनी न्यायिक डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की है.
मेयर बिल डे ब्लास्यिो ने फैमिली कोर्ट, क्रिमिनल कोर्ट और सिविल कोर्ट में 28 न्यायिक नियुक्तियां और पुनर्नियुक्ति की. यह नियुक्तियां 1 जनवरी से प्रभावी हो गई.
फैमिली, क्रिमिनल और सिविल कोर्ट न्यूयॉर्क स्टेट यूनिफाइड कोर्ट सिस्टम का हिस्सा है. फैमिली कोर्ट के जज गोद लेने, पालक देखभाल और गार्जियनशिप, हिरासत और मुलाकात, घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार या उपेक्षित बच्चों और किशोर अपराध से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हैं. जबकि क्रिमिनल कोर्ट दुष्कर्म मामलों और हल्के अपराधों को देखती है.