- शिवराज और विजय रुपाणी भी अपने छात्रों को कोटा से वापस लाएंगे
- बिहार के छात्रों को कोटा से लाने पर सियासत गर्म, नीतीश कुमार घिरे
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजस्थान की कोचिंग सिटी कोटा से अपने छात्रों को निकाल लिया है. अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और गुजरात की विजय रुपाणी सरकार को भी कोटा से अपने राज्य के छात्रों को वापस लाने की अनुमति मिल गई है. वहीं, कोटा में फंसे बिहार के छात्रों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सियासी घमासान में फंसते नजर आ रहे हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोटा में फंसे बिहार के छात्र-छात्राओं को वापस लाने की इजाजत मांगी है.
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने कोटा से छात्रों को वापस लाने के लिए लगभग 100 बसें भेजने का फैसला लिया है. 50 सीटों वाली इन बसों के जरिए कोटा से मध्य प्रदेश के छात्रों को वापस लाया जाएगा. शिवराज सरकार की करीब 2500 छात्रों को निकालने की योजना है. वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी अपने छात्रों को वापस लाने की तैयारी शुरू कर दी है, जिन्हें गहलोत सरकार ने अनुमति दे दी है. हालांकि, गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार यूपी के छात्रों के वापस जाने के बाद अपने छात्रों को निकालने का काम शुरू करेंगी.
बता दें कि कोटा में फंसे छात्रों को उनके घर पहुंचाने का मुद्दा सियासी तौर पर गरमाया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा में फंसे छात्रों को वापस बुलाने के लिए करीब 200 बसें भेजी थीं, जिस पर बिहार की नीतीश सरकार ने केंद्र से नाराजगी जताई. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने छात्रों को बसों से भेजे जाने को लॉकडाउन का उल्लंघन बताया था. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसे कदम उठाए जाने लगे तो फिर लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
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हालांकि, जिस तरह यूपी के बाद शिवराज सिंह चौहान और विजय रुपाणी ने फैसला लिया है, उसके बाद नीतीश कुमार पर भी छात्रों को निकालने का दबाव बढ़ गया है. कोटा में सबसे ज्यादा छात्र बिहार के पढ़ते हैं. माना जा रहा है कि कोटा की कोचिंग में करीब 6500 छात्र हैं और 5 हजार बच्चे वहां के स्कूलों में पढ़ते हैं. इस तरह से बिहार के करीब 12 हजार छात्र इस समय कोटा में मौजूद हैं.
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोटा में फंसे बिहार के छात्र-छात्राओं को वापस लाने की इजाजत मांगकर सियासी पारा और गर्म कर दिया है. तेजस्वी ने कहा है कि खास लोगों के प्रति समर्पित बिहार सरकार अगर कोटा में फंसे आम विद्यार्थियों को लाने में अक्षम, अशक्त और असमर्थ है तो हमें विशेष अनुमति प्रदान करें. आरजेडी नेता ने कहा कि हम कोटा में फंसे करीब 6500 छात्रों को बिहार लेकर आएंगे. कोरोना संकट की इस घड़ी में बिहार के भविष्य उन निर्दोष बच्चों को हम ऐसे नहीं छोड़ सकते.
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तेजस्वी यादव का ये बयान ऐसे समय में आया है जब रविवार को बीजेपी विधायक अनिल सिंह, सड़क मार्ग से कोटा जाकर अपनी बेटी को वापस ले आए हैं. इस मामले के सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस तरह से नीतीश कुमार दोतरफा फंस गए हैं. एक तरफ विपक्ष छात्र-छात्राओं को वापस लाने की मांग रहा है तो दूसरी तरफ माता-पिता दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार कोटा से छात्रों को लाने का फैसला करते हैं तो उन पर दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने का भी दबाव बनेगा.