पुलिस ने समझाइश भी दी है. (Demo PIc)
बाल विवाह की रोकथाम के लिए बनाई टीम ने कार्रवाई करते हुए उम्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज शैक्षणिक अंकसूची की जांच की.
बाल विवाह की रोकथाम के लिए बनाई टीम ने कार्रवाई करते हुए उम्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज शैक्षणिक अंकसूची की जांच की. प्रस्तुत दस्तावेज के आधार पर बालिका की आयु 17 वर्ष तथा बालक की आयु 20 वर्ष होना मिला जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार बालिका एवं बालक का उम्र विवाह योग्य नहीं था. इसके बाद संयुक्त टीम ने बाल विवाह को रोका.
सतर्क रहने की हिदायत
इस अवसर पर टीम द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी भी दी गई. उन्होंने बालिका एवं बालक के परिजनों को बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लड़की की आयु 18 वर्ष से कम और लड़का की आयु 21 वर्ष से कम उम्र के विवाह को प्रतिबंधित किया है. महिला एवं बाल विकास के डीपीओ राजेन्द्र कश्यप ने बताया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि कानूनन अपराध भी है.बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर-वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक की विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 2 साल तक के कठोर कारावास या 1 लाख रुपए तक जुर्माना दोनों से दंडित किया जा सकता है. गौरतलब है कि बाल विवाह के कारण बच्चों मेें कुपोषण , शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है. कार्रवाई के दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारी सहित ग्राम पंचायत सरपंच एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी उपस्थित थी. साथ ही सरपंच और सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ऐसे मामलों पर सतर्कता बरतते हुए तत्काल जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं जिससे बाल विवाह को रोका जा सके.
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First published: May 16, 2020, 4:06 PM IST