Monday, December 23, 2024
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इनसाइड स्टोरीः महिलाओं और पुरुषों में फर्क करता है कोरोना वायरस! – Corona covid 19 deadly virus women impact men inside story crime

  • भारत में कोरोना से मरने वालों में 20 फीसदी महिलाएं
  • इटली में कोरोना से मरने वालों में 32 प्रतिशत महिलाएं
  • चीन में कोरोना से मरने वालों में 36 फीसदी महिलाएं

कोरोना बेशक देश, शहर, धर्म, जात देख कर शिकार ना कर रहा हो. मगर लिंग भेद जरूर कर रहा है. दुनिया भर की रिसर्च और आंकड़ों के मुताबिक कोरोना मर्द और औरतों के बीच खास फर्क कर रहा है. कोरोना के शिकार पुरुष ज्यादा हो रहे हैं. जबकि महिलाएं कम. दुनिया भर में कोरोना से संक्रमित मरिज हों या फिर कोरोना से होने वाली मौत. दोनों ही मामलों में पुरुष महिलाओं से काफी आगे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना के महिलाओं पर इतना असर ना करने के पीछे कुछ खास वजहें हैं.

ब्रिटेन के शाही घराने से लेकर हिंदुस्तान में सब्जी का ठेला लगाने वाले तक, कोरोना के वायरस ने किसी को नहीं छोड़ा. हर आम-ओ-खास वायरस के इस शिकंजे में फंसे हैं. कहते हैं कि कोरोना वायरस किसी की जाति, धर्म या उम्र देखकर वार नहीं कर रहा है. बल्कि सबको एक लाइन से अपना शिकार बनाता चला जा रहा है. लेकिन शायद अब इस वायरस ने भेदभाव भी करना शुरु कर दिया है. आंकड़े बताते हैं कि भले कोविड-19 के इस वायरस ने जाति, धर्म या उम्र ना देखी हो. मगर मर्द और औरत में फर्क करना इसने सीख लिया है.

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कोविड-19 की महामारी मर्दों और औरतों पर अलग-अलग तरह से असर डाल रही है. और तो और इस वायरस का पुरुषों और महिलाओं की सेहत ही नहीं, बल्कि माली हालत पर भी अलग-अलग असर दिख रहा है. इन हालात को आगे समझने की कोशिश करेंगे. मगर फिलहाल ये समझिए कि औरतों पर क्यों बेअसर है कोरोना वायरस. कोरोना से संक्रमित होने वाले और मरने वालों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो अंदाजा हो जाएगा कि ये वायरस अब लिंग भेद भी कर रहा है.

मिसाल के लिए भारत में अब तक कोरोना से जितनी मौत हुई, उनमें 80 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं हैं. इटली में कोरोना से मरने वालों में 68 फीसदी पुरुष 32 फीसदी महिलाएं हैं. चीन में 64 फीसदी पुरुष 36 फीसदी महिलाएं हैं. अमेरिका में 62 फीसदी पुरुष और 48 फीसदी महिलाएं हैं जबकि पाकिस्तान में तो कोरोना से मरने वाले 80 फीसदी पुरुष हैं, जबकि 20 फीसदी महिलाएं. स्पेन में 63 फीसदी पुरुष 37 फीसदी महिलाएं हैं. जर्मनी में भी 63 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं हैं.

आस्ट्रेलिया में 60 फीसदी पुरुष और 40 फीसदी महिलाएं हैं. स्वीडन में भी ये अनुपात 60-40 का ही है. ईरान में मामूली अंतर है. कोरोना से मरने वालों में 59 फीसदी पुरुष, जबकि 41 फीसदी महिलाए हैं. कनाडा में 56 फीसदी पुरुष और 44 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में कोरोना से 53 फीसदी पुरुषों की मौत हुई है, जबकि 47 फीसदी महिलाओं की. जबकि एक स्टडी के मुताबिक पूरी दुनिया में सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों की तादाद में करीब 58% मर्द हैं और 42% औरतें हैं.

सवाल ये है कि आखिर कोरोना का ये वायरस ऐसा भेदभाव दिखा क्यों रहा है. क्यों ये एक तरफ तो मर्दों पर कहर ढहा रहा है और दूसरी तरफ औरतों पर बेअसर नजर आ रहा है. कोरोना वायरस से मरने वालों की तादाद का ब्यौरा रखने वाली रिसर्चरों की टीम इसकी वजह तलाशने में जुटी है. हाल ही में 11 देशों के हजारों लोगों पर हुई यूरोपियन हार्ट जर्नल की स्टडी के मुताबिक कोरोना के महिला-पुरुष दोनो तरह के मरीजों पर एक रिसर्च की गई. जिसमें ये पाया गया कि पुरुषों के कोरोना से ज्यादा संक्रमित होने की सबसे बड़ी वजह है.

महिलाओं की तुलना में पुरुषों के खून में ACE-2 प्रोटीन का काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाना. दरअसल, ACE-2 यानी एंजियोटेंसिन कंवर्टिग एंजाइम-2 के जरिए ही वायरस हम्यूमन सेल में घुसता है. ये प्रोटीन फेफड़ों, दिल, किडनी और आंतों के अलावा पुरुषों के अंडकोष में काफी मात्रा में पाया जाता है. जिसकी वजह से महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा हो रहा है. जबकि महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में ACE-2 प्रोटीन काफी कम मात्रा में होता है. एक स्वस्थ्य इंसानी शरीर में ACE-2 प्रोटीन का काम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना होता है. किसी भी वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम के जींस X क्रोमोजोन पर ज्यादा पाए जाते हैं. महिलाओं की इम्यूनिटी इसलिए अच्छी होती है. क्योंकि उनमें दो X क्रोमोजोन होते हैं पुरुषों में सिर्फ एक.

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कुल मिलाकर कुदरत भी आजकल मर्दों के साथ अनोखा मजाक कर रही है. एक तो वो आपनी आदत के उलट घरों में कैद हैं. और दूसरा उनके बाहर निकलने पर संक्रमित होने का खतरा भी ज्यादा है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फिलिप गोल्डर के मुताबिक दरअसल महिलाओं की अच्छी इम्यूनिटी की वजह से उनमें किसी भी वायरस का प्रकोप झेलने की ताकत ज्यादा होती है. वहीं पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कम इम्यूनिटी होने के अलावा, उनमें नशा करने की आदत भी उन्हें डेंजर जोन में लेकर चली जाती है. जिससे उनमें किसी भी बीमारी के पनपने की आशंका ज्यादा होती है.

सिगरेट पीने वालों के लिए तो कमजोर फेफड़ों की वजह से किसी भी तरह के संक्रमण का शिकार होना बहुत ही आसान है. और यकीनन महिलाओं की तुलना में पुरुष सिगरेट ज्यादा पीते हैं. इसके अलावा सिगरेट पीने के दौरान हाथ बार-बार मुंह के पास भी जाता है. इसलिए भी संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. वहीं कोरोना वायरस उन लोगों पर भी ज्यादा हमला कर रहा है. जिनकी मेडिकल हिस्ट्री है. मसलन जिन्हें हार्ट की दिक्कत है, डायबिटीज या कैंसर है. इन बिमारियों की भी बात करें तो ये भी महिलाओं की बनिस्बत पुरुषों में ज्यादा आम हैं. लॉकडाउन में बुज़ुर्गों के लिए भी हालात बेहतर नहीं हैं. बुज़ुर्ग पुरुषों में कोरोना से संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है. वहीं बज़ुर्ग महिलाओं में संक्रमित होने पर ठीक होने की भी संभावना ज्यादा है. लेकिन सेहत पर इसका असर लंबे वक्त तक रहेगा.

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