नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर (Rajendra Nagar) में हुए कोचिंग हादसे के मामले में हाईकोर्ट (High Court) ने सख्त रवैया अपनाया है. अदालत ने दिल्ली पुलिस पर तंज करते हुए कहा कि “ये बहुत मेहरबानी कि बात है कि आपने नाले के पानी का चालान नहीं काटा”. गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके मांग की गई है कि एक हाई लेवल कमिटी गठित करके तीन बच्चों की डूबने से हुई मौत के मामले की जांच की जाए. पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर, इलाके के DCP और जांच अधिकारी को आज शुक्रवार की सुनवाई के लिए तलब किया था.
दिल्ली पुलिस से अदालत ने पूछे तीखे सवाल
MCD के वकील ने कहा कि Rau इंस्टिट्यूट के बारे में क्योंकि दिल्ली पुलिस कार्रवाई कर रही है इसलिए उसको छोड़कर हम बाकी पर कार्रवाई कर रहे हैं. अदालत ने दिल्ली से पुलिस से पूछा कि अब तक आपने क्या किया. अदालत ने पूछा कि बाकी चीजों के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उनकी पहचान की गई?
दिल्ली पुलिस से कोर्ट ने कहा कि सड़क पर चल रहे आदमी को क्यों गिरफ्तार कर लिया गया था? पुलिस को माफी मांगनी चाहिए.पुलिस की तब इज्जत होती है जब वह अपराधी को पकड़े और निर्दोष पर किसी तरह की कार्रवाई न करें.अगर आप निर्दोष को पड़कर दोषियों को छोड़ने लगेंगे तो यह बहुत ही खराब स्थिति होगी.दिल्ली पुलिस ने कहा- मीडिया के कारण इस तरह का इंप्रेशन बना है. हम माफी मांगते हैं.कोर्ट ने कहा- आप किसी तरह के दबाव में मत लिए केवल सच बताइए हम सब दबाव में काम करते हैं। आपको स्थिति का सामना करना है और जांच साइंटिफिक तरीके से होनी चाहिए.
एमसीडी से भी पूछे सख्त सवाल
अदालत ने कहा यह नहीं बताया गया है कि स्टॉर्म वॉटर ड्रेन काम क्यों नहीं कर रहा था. यानी बड़ा नाला जिसके कारण ये घटना हुई. अदालत ने पूछा कि आपके अधिकारी कहां थे. उसे इलाके में पानी क्यों जमा हो रहा था. MCD आयुक्त ने कहा- सड़क के साथ वाली ड्रेन चालू होनी चाहिए.अदालत ने कहा- क्रिमिनल क्रिया को छोड़ो प्रशासनिक रूप से भी आपके पास कुछ तो जवाब होना चाहिए. अगर अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं तो बताया जाना चाहिए.
अदालत ने MCD से कहा हम आदेश पास करते रहते हैं लेकिन उनको लागू नहीं किया जाता.अदालत ने कहा कि आपके विभाग में कानून को लेकर कोई इज्जत नहीं है. ये नहीं हो सकता.अदालत ने एमसीडी से कहा कि आप कानून से ऊपर नहीं है.अब तक स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?क्यों वह लोग अभी तक अपनी नौकरी पर बने हुए हैं?
कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा कि जिस अधिकारी ने बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी थी उससे अब तक आपने पूछताछ की है? दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमने उसके बारे में पूछा है. अदालत ने कहा- किससे पूछा है?क्या आपके पास कोई पावर नहीं है? क्या आप सामान्य नागरिक हैं? क्या आपको कानून की समझ नहीं है? क्या आपको यह नहीं पता कि कैसे फाइलें जप्त की जाती हैं? क्या आपको लगता है अपराधी आपके पास आएगा और खुद फाइल देगा?
दिल्ली पुलिस ने अदालत से क्या कहा?
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि हमारी पहली प्राथमिकता थी कि NDRF को बुलाकर हालत को काबू किया जाए
वहां पर काफी पानी भर गया था.अदालत ने पूछा की मौत का कारण क्या है? पुलिस ने बताया कि डूबने से मौत हुई.
अदालत ने कहा आपको क्या लगता है वह क्यों डूबे? बेसमेंट से बाहर क्यों नहीं आ पाए?
अदालत ने पुलिस से कहा- बेसमेंट ने पानी भरने में कुछ तो समय लगा होगा आखिर बच्चे बाहर क्यों नहीं आ पाए?
दिल्ली पुलिस ने बताया कि हमारी जांच अभी जारी है.अदालत ने फिर पूछा हमको यह बताया गया है कि 1 जुलाई तक यह बेसमेंट एक स्टोरेज था जो अचानक से लाइब्रेरी बन गई क्या पुलिस ने जांच की कि अचानक से ऐसा क्यों हुआ?1 जुलाई को जब सब कुछ ठीक था तो अचानक से कैसे बदल गया. अदालत में DCP ने जवाब दिया- दिल्ली फायर सर्विस साफ जवाब नहीं दे रहा है. वह केवल इतना बता रहे हैं कि फायर फाइटिंग इक्विपमेंट वहां पर थे हम उनके खिलाफ भी जांच करेंगे.
पुलिस ने क्या जवाब दिया?
DCP ने कहा कि जब पानी आया तो वहां पर करीब 20 से 30 बच्चे थे. अचानक काफी तेजी से पानी आया. ये एक बड़ा सा हॉल था. जब ये हुआ तो वहां का लाइब्रेरियन भाग गया था. काफी बच्चे निकालने में कामयाब हुए लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि शीशा टूट गया. एक टेबल के कारण भी निकलने में दिक्कत आई.वहां पर कोई बायोमेट्रिक नहीं था.डीसीपी ने कहा कि हमारा बीट कांस्टेबल भी वहां पर पहुंचा था उसके गले तक पानी आ गया था बाद में हमने NDRF की मदद से राहत और बचाव का काम किया.
अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आपने MCD से अब तक किसको पूछताछ के लिए बुलाया? किस अधिकारी को बुलाया? आपने किसी छोटे से अधिकारी को भी पूछताछ के लिए नहीं.पुलिस ने कहा कि हमें समय दीजिए, हम जवाब देंगे.अदालत ने कहा कि आपने अभी तक फाइल में भी ज़ब्त नहीं की है। आपको तो पहले ही दिन जाकर सारी फाइल जप्त कर लेनी चाहिए थी। यह लापरवाही भी है और अपराध भी.
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