Monday, December 23, 2024
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कोरोना का कहरः चीन में नए रूप में लौटा किलर वायरस, बना पहले से ज्यादा खतरनाक – Corona covid 19 deadly virus pandemic dangerous china death infection crime

  • नया कोरोना पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक
  • नए कोरोना के शिकार मरीज़ में नहीं दिखता कोई लक्षण

कोरोना वायरस फिलहाल पूरी दुनिया में करीब 70 हजारों लोगों की जान ले चुका है. 13 लाख लोगों को बीमार बना चुका है. आलम ये है कि कोरोना के खौफ से अभी दुनिया कांप ही रही है. इसी बीच एक और नए कोरोना ने दस्तक दे दी. ये नया कोरोना भी चीन के उसी हुबेई प्रांत से आया है, जहां से पुराना कोरोना निकला था. जानकारों की मानें तो ये नया कोरोना पुराने कोरोना से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है. क्योंकि इस नए कोरोना का कोई लक्षण ही नहीं है. यानी इसके शिकार बने शख्स को पता ही नहीं चलेगा कि वो संक्रमित है.

चीन में कोरोना रिटर्न्स की ये कहानी डरावनी है. क्योंकि कोरोना के लक्षण तो हम सबको पता थे. उसी हिसाब से दुनिया इसके बचाव के इंतजाम कर रही थी. सर्दी, खांसी, गला खराब, बुखार सांस लेने में तकलीफ. यही कोरोना के लक्षण बताए गए थे. मगर अभी इस कोरोना से पूरी दुनिया जूझ ही रही है कि दुनिया को डराने के लिए नई शक्ल में कोरोना उसी चीन में दोबारा लौट आया है, जहां से पहला कोरोना फैला था. मगर इस बार ज्यादा खतरनाक तरीके से. खतरनाक इसलिए क्योंकि इस बार ये कोरोना बिना किसी लक्षण के सामने आया है. मतलब ये कि मान लीजिए कोई कोरोना से संक्रमित है तो उसे खुद भी पता नहीं चलेगा कि वो संक्रमित है. क्योंकि इस नए कोरोना के संक्रमण का कोई लक्षण ही नहीं है. इसीलिए इसे एसिम्टोमैटिक केस कहा जा रहा है.

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दरअसल, एसिम्टोमैटिक केस का मतलब है कि कोई कोरोना से संक्रमित तो हो मगर उसमें इस बीमारी के कोई लक्षण नज़र ही ना आएं. आसान ज़बान में इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर किसी को एसिम्टोमैटिक कोरोना है. तो इसकी जानकारी ना तो खुद उस शख्स को होगी और ना ही बिना टेस्ट के डॉक्टर ही इसका पता लगा पाएगा. सिर्फ टेम्प्रेचर चेक करने वाली मशीन तो संक्रमित मरीज़ों को पकड़ तक नहीं पाएगी.

एसिम्टोमैटिक कोरोना का मरीज़ कोविड-19 के आम मरीज़ से ज़्यादा खतरनाक होता है. क्योंकि कम से कम उनमें कोरोना के लक्षण नज़र तो आते हैं. दुनियाभर में कोरोना के जो मामले अब तक सामने आए हैं. वो सिम्टोमैटिक केसेज़ थे. यानी वो कोरोना से संक्रमित भी थे और उनमें इसके लक्षण भी साफ तौर पर दिखाई दे रहे थे. इसलिए उनको पहचानना भी आसान था. और वो खुद भी इस बात का ख्याल रखते थे कि उनकी वजह से ये संक्रमण किसी और में ना फैले. मगर कोरोना के एसिम्टोमैटिक मामले सामने आने की वजह से ये खतरा ना सिर्फ चीनी अथॉरिटी और वहां के लोगों के लिए बहुत बड़ा हो गया है. बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगी.

भारत जैसे देशों में जहां कोरोना के लक्षण वाले मरीज़ों को ही पहचानना मुश्किल है. वहां अगर एसिम्टोमैटिक कोरोना के मामले सामने आने लगे तो आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि क्या होगा. कोरोना वायरस की ये हेराफेरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा चैलेंज साबित होने वाली है. क्योंकि जहां एक तरफ इटली, अमेरिका, स्पेन और ईरान अभी कोरोना के सीधे-सीधे मामलों से ही पार नहीं पा रहे हैं. वहां अगर ठीक होने के बाद कोरोना के मरीज़ एसिम्टोमैटिक हो गए. तो कोरोना से ठीक हुए ज़्यादातर मरीज़ चलती फिरती मौत बन जाएंगे. जो जाने-अनजाने लोगों को मौत का ये वायरस दे जाएंगे.

कोरोना का ‘नए ख़तरे’ से कैसे निपटे दुनिया? कोरोना वायरस के सिम्टोमैटिक मामलों के बारे में चीन ने भले दुनिया को वक्त रहते जानकारी ना दी हो. या दुनिया ने उसे हल्के में लेने की भूल कर के कोई तैयार नहीं की. मगर अब दुनिया के पास वक्त है कोरोना के एसिम्टोमैटिक मामलों के लिए पहले से एहतियात बरतने का. जानकार बता रहे हैं कि इस आने वाले खतरे से निपटने के सिर्फ 2 ही इलाज हैं.

पहला इलाज- सरकारें लॉकडाउन को खत्म करने में जल्दी ना करें. पहले तसल्ली कर लें कि कोरोना के नए मामलों में कमी आ गई है. और फिर उसका ऑब्ज़र्वेशन करने के बाद ही लॉकडाउन खोलें. दूसरा इलाज- कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों को फौरन समाज में जाने की इजाज़त ना हो. और हर दूसरे दिन उनकी जांच की जाए ताकि वो कोरोना के एसिम्टोमैटिक के शिकार ना हो जाएं.

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जल्दबाज़ी में लॉकडाउन ना खत्म करने और कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों को लगातार ऑब्ज़र्वेशन में रखने की ये सलाह इसलिए क्योंकि चीन के हुबेई प्रांत में जहां हाल ही में लॉकडाउन खत्म किया गया. वहां कोरोना के खत्म हो चुके मामले दोबारा से नज़र आने लगे. ये सब हुआ महज़ तीन से चार दिन में. और इनमें से ज़्यादातर मामलों में लोगों को उनसे कोरोना का संक्रमण लगा जो अस्पताल से कोरोना से लड़ कर ठीक होने के बाद घर लौटे थे.

यानी इनके शरीर में कोरोना का वायरस फिर पलटा मगर ये सब के सब अनजान रहे. खुद उन्हें फिर वैसे ही लक्षण महसूस नहीं हुए जो इन्हें पहली बार कोरोना की चपेट में आने के वक्त हुए थे. यानी इस बार कोरोना के वायरस ने रूप बदलकर इनके शरीर में जगह बनाई.

इस तरह हुबेई में लॉकडाउन हटाने और ज़िंदगी सामान्य करने की चीनी सरकार की कोशिश उल्टी पड़ गई और यहां अचानक कोरोना के 1541 एसिम्टोमैटिक मामले सामने आ गए. यानी चीन में लॉकडाउन की मियाद पूरी करने के बाद भी. जो नए मामले सामने आ रहे हैं वो ना सिर्फ पहले से भी ज़्यादा खतरनाक और जानलेवा हैं. बल्कि इसमें नए पीड़ित मरीज़ों का पता लगाना कहीं ज़्यादा मुश्किल है. या कहें कि तकरीबन नामुमकिन है.

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