टिक टॉक पर कोरोना वायरस के बारे में बन रहे विवादित वीडियोज के वायरल होने वाली आजतक की खबर का असर देखने को मिला है. टिक टॉक पर भारतीय मुसलमानों को गुमराह करने वाली आज तक की रिपोर्ट पर कंपनी की तरफ से सफाई पेश की गई है. टिक टॉक ने एक बयान जारी किया है. टिक टॉक ने बयान में कहा है कि वो ऐसे हजारों अकाउंट्स को बैन कर रहा है और वीडियोज को हटा रहा है जिनमें कोरोना वायरस को लेकर विरोधाभासी बातें या इससे बचने की वैधानिक सलाह दी गई है.
टिक टॉक ने कहा है कि उन्होंने इन मामलों को प्राथमिकता से देखना शुरू कर दिया है और इस तरह के कंटेंट को गंभीर चिंता का विषय बताया है. हालांकि टिक टॉक ने उन वीडियोज को स्पेसिफाई नहीं किया है जिन पर वो एक्शन ले रहा है. बता दें कि दिल्ली स्थित डिजिटल लैब वॉइजर इंफोसेक ने इस हफ्ते सर्कुलेट की गई 30,000 क्लिप्स की जांच की. इससे एक निश्चित पैटर्न सामने आया. ऐसी क्लिप्स के पीछे भारतीय मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर भ्रम फैलाने वाली सूचनाएं देने का अभियान नजर आता है.
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वीडियोज में मुस्लिमों के किरदार में युवा लड़कों, किशोरों और वयस्कों को दिखाया गया है, जो मुस्लिमों को सावधानियां बरतने से हतोत्साहित करते नजर आते हैं. 17 सेकेंड के एक और वीडियो क्लिप में हिंदी टेक्स्ट में लिखा हुआ है कि कोरोना वायरस मुस्लिमों पर वार नहीं करेगा. एक लाइन में पवित्र कुरान का हवाला दिया गया है. साथ ही दावा किया गया है कि हाथ मिलाने और गले मिलने से बीमारियां ठीक होती हैं.
वोइजर इंफोसेक के निदेशक जितेन जैन कहते हैं, ‘हमने बहुत अहम पैटर्न को पकड़ा है जिसमें दिखता है कि दुष्प्रचार फैलाने के लिए टिकटॉक का इस्तेमाल प्रमुख माध्यम के तौर पर किया जाता रहा है. इसमें झूठी और संदिग्ध रिसर्च के हवाले से कहा जाता है कि कोरोना वायरस मुस्लिमों पर असर नहीं करेगा. इनमें ये भी कहा जाता है कि चीन और इटली में एक भी मुस्लिम की मौत नहीं हुई.’