रायपुर. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एक आईटीबीपी जवान ने बुधवार को आपसी विवाद में अपने 5 साथियों की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में आरोपी जवान ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। घटना में दो जवान घायल हैं। यह पहला मामला नहीं है, जब आपसी संघर्ष में जवानों की मौत हुई।
इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में कई घटनाएं हो चुकी हैं। खाने, ड्यूटी में लापरवाही और प्यार के चक्कर में जवान आपस में झगड़े और बात खून-खराबे तक पहुंची। जानकारों के मुताबिक, इन इलाकों में जवानों के बीच मानसिक तनाव भी झगड़ों की वजह है। कुछ ऐसी ही घटनाएं-
जगदलपुर: चिकन की दावत पर हुआ विवाद
मई 2012 को जगदलपुर के मारेंगा में तैनात जवानों के बीच खाने को लेकर विवाद हुआ था। छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स के जवानों ने चिकन बनाया था। इसे लेकर बहस शुरू हुई। इसके बाद प्रधान आरक्षक सिलमानुस एक्का और आरक्षक वासुदेव के बीच डयूटी को लेकर विवाद हुआ। यहां सिलमानुस नाम के आरक्षक ने वासुदेव पर फायर कर दिया। इसके बाद जवानों के बीच फायरिंग हुई। इसमें 3 जवानों की मौत हुई।
बीजापुर: प्रेम प्रसंग पर झगड़ा
इसी साल 19 जून को बीजापुर के मिंगाचल निवासी संजय निषाद छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स में जवान था। उसकी तैनाती भी मिंगाचल कैंप में थी। इस दौरान प्रेम प्रसंग के चलते विवाद में संजय ने अपने दो साथियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले में पेशी के लिए 29 नवंबर को उसे बीजापुर उपजेल से पुलिस के दो सिपाही दंतेवाड़ा कोर्ट लेकर पहुंचे थे। यहां से संजय फरार हो गया।
बासागुड़ा कैंप: फायरिंग में 4 जवानों की मौत
बीजापुर में 10 दिसंबर 2017 को बासागुड़ा कैंप में सीआरपीएफ जवानों के बीच फायरिंग की घटना हुई। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रहने वाले जवान संत कुमार ने अपने अन्य साथियों पर गोलियां चला दी थीं। इसमें 4 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई।
अरनपुर कैंप: 4 जवानों की हत्या के बाद जवान ने फांसी लगाई
25 दिसंबर 2012 को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में तैनात सीआरपीएफ बटालियन के जवान दीप कुमार तिवारी ने राइफल से फायरिंग कर अपने 4 साथियों की हत्या कर दी थी। गिरफ्तारी के बाद उसने जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
बस्तर आईजी बोले- अच्छी लाइफ स्टाइल दे रहे हैं
बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज ने कहा कि जवानों में स्ट्रेस कम करने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। उनके काम और निजी जीवन में आ रही दिक्कतों को लेकर कांउसिलिंग की जाती है। हमने उनके रहन-सहन के स्तर में भी सुधार का प्रयास कर रहे हैं। नक्सली इलाकों में बने कैंप में मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है।