पीलीभीत कलेक्टर वैभव श्रीवास्तव की एक करिश्माई पहल पूरे उत्तर प्रदेश में मिसाल बन गयी है। बिलासपुर के रहने वाले और मौजूद वक्त में यूपी कैडर के IAS वैभव ने हाल ही में फसल अपशिष्ट के जरिये बायो कम्पोस्ट बनाने की अभिनव पद्धति खोजी थी। अब यूपी सरकार ने इस टेक्निक्स को मॉडल की तरह अपनाने का निर्देश प्रदेश के सभी जिलों को दिया है। इस विधि को अपनाने के लिए एक पत्र एडिश्नल चीफ सिकरेट्री होम अवनीश अवस्थी ने 14 दिसंबर को सभी कलेक्टरों को जारी किया है। कलेक्टर वैभव श्रीवास्तव की बायो कम्पोस्ट तैयार करने की पद्धति ने ना सिर्फ किसानों के लिए चमत्कारिक परिणाम दिये, बल्कि पराली जलाने जैसे वायु प्रदूषण के मुख्य कारक को भी खत्म करने में कारगर साबित हुआ था।
इस मॉडल की उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा हो रही है। ये मॉडल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस अपील से भी प्रेरित है, जिसमें उन्होंने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पराली को कम्पोस्ट की तरह इस्तेमाल करने का आह्वान किया था। आपको बता दें कि पीलीभीत सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन रने वाला यूपी का पहला जिला बन गया है, जिससे किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल फसल अवशेष का भुगतान किया जा सके, ताकि वे डंठल को सड़ने की लागत को पूरा कर सकें।
6 नवंबर को, SC ने चार सप्ताह के भीतर आदेश के पालन का निर्देश यूपी, हरियाणा और पंजाब सरकार को दिया था। मल प्रबंधन के पीलीभीत मॉडल के बाद, किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 3,500 रुपये प्रति एकड़ से अधिक मिलेगा। इस बाबत सोमवार कलेक्टर वैभव श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि जिले के कुल कृषक परिवारों के 80% से अधिक को मल प्रबंधन योजना के लाभों से जोड़ा गया है। जिले में कुल 2.72 लाख गाँव परिवार हैं जिन्हें मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) जॉब कार्ड से जोड़ा गया है। इन सभी परिवारों को फसल अवशेषों से जैव खाद निर्माण के तहत कवर किया जाता है।