सूरजपुर में पॉजिटिव केस मिलने के बाद सरगुजा संभाग के ग्रीन जोन में ही शामिल जशपुर जिला प्रशासन भी हरकत में आया. आश्रय शिविरों में जांच शुरू की. रैपिड टेस्ट में एक व्यक्ति कोविड-19 का हाई सस्पेक्टेड मिला. इसका नमूना भी जांच के लिए लैब में भेजा गया है. यदि संदिग्धों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो इन ग्रीन जोन के कोरोना के रेड जोन या हॉट स्पॉट बनने की भी आशंका है.
आश्रय शिविर में जांच करते स्वास्थ्य कर्मचारी. फाइल फोटो.
अचनाक हड़कंप क्यों मचा?सूरजपुर में जिन 58 वर्षीय व्यक्ति में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई, वो पेशे से मजदूर हैं. लॉकडाउन के पहले चरण में महाराष्ट्र से अपने मूल निवास झारखंड के लिए निकले थे, लेकिन छत्तीसगढ़ की सीमा राजनांदगांव में उन्हें रोक लिया गया. यहां उन्हें एक आश्रय शिविर में अन्य मजदूरों के साथ रखा गया, लेकिन 17 अप्रैल को राजनांदगांव जिला प्रशासन ने उनके साथ 106 व्यक्तियों को सूरजपुर अलग अलग बस में भेज दिया. इन सभी को सूरजपुर के जलावल में बने शिविर में रखा गया था. इसके अलावा महाराष्ट्र सीमा से राजनांदगांव में आने वाले प्रवासी 144 मजदूरों को 15 अप्रैल को जशपुर भेज दिया गया था.
सूरजपुर के शिविर में ठहराए गए एक मजदूर में संक्रमण की पुष्टि के बाद अब उसके संपर्क में राजनांदगांव से सूरजपुर व जशपुर के आए लोगों को संदिग्ध माना जा रहा है. इनकी जांच की जा रही है. जशपुर और सूरजपुर में राजनांदगांव से भेजे गए सभी मजदूर झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों के मूल निवासी हैं. ये महाराष्ट्र, तेलंगाना और अन्य राज्यों से महाराष्ट्र होते हुए छत्तीसगढ़ की सीमा में आए थे.
सांकेतिक फोटो.
कोरोना को आमंत्रित किया
छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कहते हैं- ‘राज्य सरकार ने कोरोना को खुद ही आमंत्रित किया है. यदि प्रभावित राज्यों से आ रहे लोगों को रोका गया तो उन्हें राजनांदगांव में ही रखना था. इससे संक्रमण का दायरा सीमित रहता. यदि किसी परिस्थिति में उन्हें दूसरे जिलों में शिफ्ट करने की जरूरत थी तो पहले उनका कोरोना परीक्षण करना चाहिए था, लेकिन सरकार व प्रशासन ने ऐसा नहीं कर आ बैल मुझे मार की कहावत को चरितार्थ किया है.’
बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कहते हैं कि ‘सूरजपुर में जिस गांव में राजनांदगांव से लाए गए मजदूरों को रखा गया, वहां स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था, लेकिन प्रशासन नहीं माना. अब एक केस भी मिलने पर उसके संपर्क में आए सारे लोगों में संक्रमण का खतरा बना गया है.’
फिलहाल तो रिपोर्ट का इंतजार है
राजनांदगांव में रोके गए मजदूरों को बगैर जांच दूसरे जिलों में शिफ्ट करने को लेकर वहां के कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य से जानकारी चाही गई, उन्हें मैसेज व कॉल किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. सूरजपुर के कलेक्टर दीपक सोनी ने न्यूज 18 से बातचती में कहा- ‘फिलहाल जिले में कोरोना संक्रमण का 1 ही पॉजिटिव केस है. राजनांदगांव से आए सभी 106 व्यक्तियों व उनसे सीधी संपर्क में आए लोगों की जांच की गई है. लैब की रिपोर्ट का इंतजार है.’
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव. फाइल फोटो.
जिम्मेदारी कलेक्टर की
छत्तीसगगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव न्यूज 18 से चर्चा में कहते हैं कि ‘रैपिड टेस्ट से इस बात की पुष्टि नहीं होती कि वे कोविड-19 से संक्रमित हैं. ये एक तरह से स्क्रीनिंग का ही एक तरीका है. एक जिले में क्वारंटाइन किए गए व्यक्ति को दूसरे जिले में शिफ्ट करने की जिम्मेदारी कलेक्टर की है. दोनों जिलों के कलेक्टर ने आपसी सामंजस्य के बाद सेवा भाव से ये निर्णय लिया होगा. हमारी जिम्मेदारी सभी को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराना है.’
छत्तीसगढ़ और कोविड-19
छत्तीसगढ़ में कोविड-19 से संक्रमित अब तक 38 मामले सामने आए हैं. इनमें से 36 मरीज ठीक हो चुके हैं. गुरुवार को ही कोरबा जिले के कटघोरा के 2 मरीजों को रायपुर एम्स से डिस्चार्ज किया गया. कोरबा जिले का कटघोरा राज्य का कोरोना हॉट स्पॉट है. कुल 38 में से 27 केस कटघोरा से ही मिले थे. इसके अलावा अब तक रायपुर से 6, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर और सूरजपुर से 1-1 मरीज मिले. कटघोरा के अलावा कोरबा से एक और संक्रमित मामला मिला था. वर्तमान में रायपुर और सूरजपुर के एक-एक मरीजों का इलाज जारी है. बाकि सभी मरीज ठीक हो चुके हैं.
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