डिटेंशन सेंटर को लेकर विपक्ष के आरोपों का गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इसका मकसद फॉरेन एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वालों के लिए विदेशी लोगों को कुछ समय के लिए डिटेंशन सेंटर में रखना है, जब तक उनके देश जहां से वो आए है. उनका प्रत्यर्पण न हो जाए. इसका राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से कोई लेना-देना नहीं है.
गृह मंत्रालय ने कहा कि डिटेंशन सेंटर में वीजा अवधि से अधिक ठहरने वाले, फर्जी पासपोर्ट पर आने वालों पर कानून के तहत कार्रवाई और प्रत्यर्पण से पहले उन्हें रखा जाता है. फॉरेनर एक्ट 1946 के नियमों के तहत अवैध विदेशियों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी डिटेंशन सेंटर को लेकर समीक्षा की थी और डिटेंशन सेंटर की जरूरत बताते हुए सभी राज्यों में ऐसे डिटेंशन सेंटर बनाने को कहा था.
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