दिल्ली की पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत सहित 10 युवाओं को मंगलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि ये लोग बिना इजाजत के पैदल यात्रा पर निकले थे, इसलिए इन्हें गाजीपुर में गिरफ्तार किया गया. आरोपी युवा गोरखपुर के चौरी-चौरा से दिल्ली के राजघाट तक की पैदल यात्रा पर निकले थे. युवाओं का कहना था कि वे समाज में सद्भाव बढ़ाने के लिए ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ कर रहे हैं.
पुलिस ने युवाओं पर धारा 151 के तहत कार्रवाई की है, लेकिन ये नहीं बताया है कि इनकी यात्रा से क्या दिक्कत हो रही थी. प्रदीपिका ने 10 फरवरी को फेसबुक पर लिखा था- ‘कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है, तस्वीरें खींच रही है, वीडियो उतार रही है. स्टेट इतना डरा हुआ है कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है. यह यात्रा एक पाठशाला है, जहां महज पैदल चलते हुए हम सीखते हैं कि कोई जगह कश्मीर कैसे बनती है.’
जेल भेजे गए लोगों में मनीष शर्मा, प्रियेश पांडे, नीरज राय, अनंत शुक्ल, मुरारी, राज अभिषेक, शेष नारायण ओझा शामिल हैं. मुरारी और प्रियेश बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के एमए के छात्र हैं. प्रदीपिका ने यात्रा के बारे में एक लेख में कहा था- ‘उत्तर प्रदेश में सीएए-एनआरसी के प्रदर्शनों के दौरान कुल 23 मौतें हुई थीं. इस मुद्दे को लेकर कुछ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फैक्ट-फाइंडिंग टीम बनाई थी. हिंसक घटनाओं के बारे में जानने के बाद युवाओं ने पदयात्रा करने का फैसला किया.’
प्रदीपिका के मुताबिक, युवाओं ने तय किया था कि वे उत्तर प्रदेश जाएंगे, लोगों से मिलेंगे और उन्हें बताएंगे कि हमें हिंदू-मुसलमान में बंटने से बचना होगा. यात्रा गोरखपुर से एक फरवरी 2020 को शुरू हुई थी. युवाओं ने पैदल यात्रा के कुछ नियम तय किए थे जैसे कि इन दिनों कोई विलासिता का जीवन नहीं जियेगा, सिर्फ शाकाहारी रहेगा और जहां-जैसी व्यवस्था होगी, वैसे रहेगा.
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