सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ पुलिसकर्मी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साथ हाथापाई करते दिख रहे हैं. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) के लागू होने के चलते लोगों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है.
फेसबुक यूजर “Denzil Brown” ने इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया है, “असम में NRC की शुरुआत हो चुकी है. वे लोगों को उनके घरों से निकाल रहे हैं. मीडिया इसे नहीं दिखाता, वे बिकाऊ हैं, इसलिए अब हमारा फर्ज है कि हम इसे शेयर करें.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा झूठा है. यह वीडियो 5 महीने पुराना है और राजस्थान का है जब जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (JDA) की ओर से अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी.
स्टोरी लिखे जाने तक Denzil Brown की पोस्ट को 9500 से ज्यादा बार देखा जा चुका है और 350 से ज्यादा बार यह शेयर हो चुकी है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
AFWA को इस वीडियो से जुड़ी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली, लेकिन वीडियो में पुलिसकर्मियों के कंधे पर लगे बैज स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं, जिसकी मदद से पता चलता है कि वे राजस्थान पुलिस के जवान हैं.
इससे जुड़े कुछ कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें ट्विटर यूजर “Bharat Prabhat Party” का एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने यही वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह जयपुर के कनोटा गांव का वीडियो है जहां पुलिस ने दलितों, गरीबों और आदिवासियों के घर तोड़ दिए. यह ट्वीट 7 अगस्त, 2019 का है.
370 धारा पर लोग मोदी मोदी चिल्ला रहे है और पूरे भारत मे दलितों के , गरीबो और आदिवासियों के घर तोड़े जा रहे हैं ज़मीनों पर कब्जा किया जा रहा है !
यह वीडियो सामरिया रोड कानोता जयपुर की है ! पुलिस Jcp मशीन लाकर घर तोड़ रही हैं !इन पुलिस बालो को तुरन्त नौकरी से बर्खास्त किया जाए ! pic.twitter.com/7Nm2wggJ2C
— Bharat Prabhat Party (@sarchana1016) August 7, 2019
और भी सर्च करने पर हमें “ZERO NEWS” (https://www.youtube.com/channel/UC4t3jIE5w9aMcTO8q3J1xKA) नाम का एक यूट्यूब चैनल मिला जिसपर इस घटना के और भी वीडियो मौजूद थे. इन वीडियो में भी घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है कि यह घटना जयपुर के कनोटा गांव की है जहां पर अथॉरिटी की पूर्वसूचना के बगैर पुलिसकर्मियों ने घर का एक हिस्सा ढहा दिया.
घटना की सत्यता की जांच के लिए हमने कनोटा पुलिस स्टेशन पर संपर्क किया जहां पर एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वायरल वीडियो कनोटा गांव में JDA की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान का है. उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई पिछले साल अगस्त में की गई थी और इसका एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है.
कनोटा पुलिस स्टेशन की मदद से AFWA ने इंस्पेक्टर राजीव यदुवंशी से संपर्क किया जो इस कार्रवाई का हिस्सा थे और वीडियो में देखे जा सकते हैं. यदुवंशी ने हमें बताया, “कुछ लोगों ने आम रास्ते पर अतिक्रमण करके वहां पर दीवार बना दी थी. हमने वह दीवार गिरा दी जिसके बाद अतिक्रमणकारियों और पुलिस के बीच हाथापाई हुई थी.”
इस तरह पड़ताल में साफ हुआ कि जयपुर में अतिक्रमण के विरोध में हुई कार्रवाई के वीडियो को इस तरह शेयर किया जा रहा है कि जैसे असम में एनआरसी के तहत लोगों को उनके घरों से निकाला जा रहा है.