प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 दिसंबर को दिए अपने भाषण में यह दावा किया कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। उनके इस दावे पर राजनीति विवाद खड़ा हो गया जब विपक्षी दलों और उसके बाद सत्तापक्ष से आरोप-प्रत्यारोप किए गए।
लेकिन, इस राजनीतिक विवादों से अनजान श्रमिक असम में देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। करीब 25 बीघा में फैले इस डिटेंशन सेंटर को 46 करोड़ रूपये की लागत से गोलपाड़ा के मटिया में तैयार किया जा रहा है। यह गुवाहाटी से 129 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसके अंदर 3000 घरों के लोग रह सकते हैं।
साइट पर एक सीनियर वर्कर मुकेश बासुमैत्री ने कहा- “हम इस महीने काम को खत्म कर देते, लेकिन मॉनसून के चलते हमें इसे पूरा करने में देरी हो गई। मेरी चिंता इस बात को लेकर है कि कच्चा माल समय पर मिले ताकि हम समय पर काम पूरा कर पाएं।”
पीएम मोदी का बयान दिल्ली की रैली में नागरिकता कानून पर छिड़ी बहस के बीच आया है। जिसमें पड़ोसी मुस्लिम बहुल देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिन्दुओं, सिख, ईसाई, पारसी और जैन को फौरन नागरिकता का प्रावधान है।
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके दोस्तों, जिनमें कुछ शहरी नक्सली भी शामिल है, वे सभी यह झूठ फैला रहे हैं कि सभी मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर्स भेज दिया जाएगा।