Saturday, February 22, 2025
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मंच पर साकार हुई बालमन की कल्पनाएंमंच पर साकार हुई बालमन की कल्पनाएं

*मंच पर साकार हुई बालमन की कल्पनाएं* 51वें खजुराहो नृत्य समारोह की दूसरी शाम का शंखनाद हुआ बालमन की नृत्य प्रस्तुतियों के साथ। खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन भरतनाट्यम और कथक प्रस्तुतियों से मंच सजा। पहली प्रस्तुति कुमारी इदीका देवेन्द्र, भोपाल की भरतनाट्यम नृत्य की हुई। उनकी प्रथम प्रस्तुति नटेश कौतुवम् थी। जो राग नट्टै एवंं ताल आदि में निबद्ध थी। इस प्रस्तुति में समस्त ऋषि मुनि, देवता और असुरों द्वारा पूजित, नृत्य के स्वामी नटराज को नमन किया गया। दूसरी प्रस्तुति थी शब्दम, यह एक पारंपरिक भरतनाट्यम रचना है जो ताल मिश्र चापू और रागमालिका में निबद्ध है। इसमें नायिका श्री कृष्ण की लीलाओं को दर्शाती है और उनके मनमोहक रूप का वर्णन करती है। अंतिम प्रस्तुति तिल्लाना थी, जिसका अर्थ है ताल में लीन नृत्यांगना। यह प्रस्तुति नृत्य की ओर आत्मसमर्पण है, साधना की परिकाष्ठा है। यह तिल्लाना चरूरश्र जाति (4 मात्रा) खंड जाति (5 मात्रा) एवंं संकीर्ण जाति (9 मात्रा) मे निबद्ध है। इसके साहित्य में भगवान् कार्तिकेय की स्तुति की गई। यह रचना राग शिवरंजिनी और ताल आदि में निबद्ध थी। इसके बाद कथक की प्रस्तुति ग्वालियर की कुमारी सौम्य जैन ने दी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में सर्वप्रथम भगवान शिव को समर्पित शिव रुद्राकष्टकम, जिसके बोल थे नमामि शमीशन निर्वाणरूपम…।

दूसरी प्रस्तुति में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया, जो ताल तीनताल में निबद्ध था। तीसरी प्रस्तुति ठुमरी की थी, जिसमें राधा कृष्ण का प्रेम और पनघट की स्नेहिल छेड़ छाड़ को बड़े ही मनमोहक ढंग से नृत्य में बांधा। अंतिम प्रस्तुति में जयपुर घराने का तिरवत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बाल नृत्य कलाकारों का मनोबल बढ़ाने सुप्रसिद्ध कला समीक्षक डॉ.ताप्ती चौधरी भी पधारीं। *प्रणाम में डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की सुदीर्घ कला यात्रा* 51वें खजुराहो नृत्य समारोह में विशेष रूप से वरिष्ठ नृत्यांगना और पद्मविभूषण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम के कला अवदान पर केंद्रित प्रणाम प्रदर्शनी भी संयोजित की गई है। जिसमें डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की कला यात्रा की स्मृतियां छायाचित्रों में दिखाई दे रही हैं। एक नृत्यांगना की सुदीर्घ साधना, अथक परिश्रम और लगन, जिसके परिणाम में उसे मिलता है अनेक कलाप्रेमियों का स्नेह, प्रतिष्ठित मंच, अनेक देशों की यात्राएं और सम्मान। साथ ही डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम द्वारा डिजाइन की गई नृत्य पोशाक, उनके शोध आधारित पुस्तकें इत्यादि भी प्रदर्शित की जा रही हैं। यह प्रदर्शनी उन नृत्य कलाकारों के लिए प्रेरणा है जो नृत्य में भविष्य देखते हैं।

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