शेयर करें
आज मंडली का एक वर्ष पूरा हो गया। इंटरनेट पर हिन्दी में पठनीय सामग्री उपलब्ध कराने की यह यात्रा इतनी सुखद है कि एक साल बीतने का पता ही नहीं चला। इस एक साल में मंडली पर विभिन्न विषयों पर विभिन्न विधाओं के विभिन्न लेखकों द्वारा लिखे गये लगभग 225 आलेख प्रकाशित किये गये।
चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की अमर कृति ‘उसने कहा था’ हिंदी की पहली कहानी मानी जाती है। प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में लगभग 100 वर्ष पूर्व यह कहानी लिखी गई थी। अँग्रेजी के अधिपत्य के समानान्तर चल रहे उर्दू के वर्चस्व के बीच अपने लिए जगह बनाने वाली हिंदी में आज समृद्ध साहित्य की अनुपम थाती है। यह सुखद है कि इंटरनेट पर भी हिन्दी का प्रसार बढ़ा है और हिंदी में खूब लिखा जा रहा है। हमने भी अपने सीमित संसाधनों के बीच अपनी शैली में अपनी बात कहकर अपने लिए एक स्पेस बनाने की कोशिश की है। हमें यह पक्का पता नहीं है कि वैसा स्पेस बनाने में हम सफल हुए हैं या नहीं लेकिन यह तय है कि हम अपने उपक्रम में अनवरत प्रयासरत रहेंगे।
इस ऑनलाइन हिन्दी पोर्टल पर हमने राजनीतिक लेखों से लेकर कथा-कहानी और हास्य-व्यंग्य उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था। अन्य विधाओं यथा, यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण और समीक्षा आदि से संबद्ध लेख भी प्रकाशित करना भी हमारी विषय सूची में था। कथा-कहानी और हास्य-व्यंग्य हमने खूब परोसे, उन्हें सराहा भी गया लेकिन राजनीतिक लेख हमारी कमजोर कड़ी सिद्ध हुए। हम उसमें उतने लेख नहीं दे सके जितना हम चाहते थे। इसे ठीक करने का प्रयास किया जाएगा। यात्रा वृत्तांत और मनोंरंजन से संबंधित लेख भी अपने प्रकाशित किये। एक विधा के रूप में व्यक्तिगत संस्मरण के भी कुछ लेख प्रस्तुत किये गये।
पोर्टल आरम्भ करते हुए हमने यह कहा था कि यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य होगा कि मंडली पर प्रकाशित हर विधा के लेख सर्वथा स्वस्थ और पठनीय हों। व्यूज और क्लिक से इतर हमारा ध्यान प्रकाशित सामग्री की गुणवत्ता पर होगा। हास्य-व्यंग्य के नाम पर हम किसी पर निजी हमला करने से परहेज करेंगे और श्लीलता से कोई समझौता नहीं करेंगे। व्यंग्य अपने सबसे कोमल स्वरुप में होगा जहाँ चिकुटी काटकर सहला दिया जाएगा या सहलाकर चिकुटी काटी जाएगी। यदि तीखे कटाक्षों की आवश्यकता हुई भी तो वे व्यक्तिगत नहीं होंगे। कहानियाँ लीक से हटकर होंगी, घटनाओं से अधिक चरित्र पर निर्भर होंगी। सनसनी के तत्वों से परहेज भी हमारा एक लक्ष्य था। इनमें भी भाषा की शुचिता और मर्यादा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। हमें गर्व है कि पिछले एक साल में हम स्वयं के मानकों से विचलित नहीं हुए।
हमलोग पेशेवर और अकादमिक लेखक या साहित्यकार नहीं हैं पर हमारी लेखक मंडली ऐसा मानती है कि लेखन एक सकारात्मक व्यसन है। मंडली कैसा लिखती है, इसका निर्णय तो पाठक गण ही करेंगे लेकिन यहाँ यह बताना अप्रासंगिक नहीं है कि हमारी लेखक मंडली को अपने लेखन से और अपने लेखन के एक-एक शब्द से अगाध प्रेम है। गुणवत्ता पर आपका निर्णय सदैव शिरोधार्य होगा।
अपनी पहली वर्षगाँठ पर मंडली पुन: आप सबसे ‘मनोरंजन, मनन और मंथन’ के इस उपक्रम से जुड़ने का निवेदन करती है। लेखक, पाठक, समीक्षक, प्रशंसक या आलोचक किसी भी रुप में आप सभी के जुड़ने का स्वागत है। आप सबके सुझावों का सदैव स्वागत रहेगा। आपकी प्रशंसा को हम नम्र आभार के साथ स्वीकार करेंगे। आपकी आलोचना को एक सीख के रुप में लेकर हम उसे आत्मसात करेंगे और परिमार्जन का प्रयास करेंगे।
अंत में मंडली के तकनीकी सहयोगियों, लेखकों, और संपादक को मंडली के पहली वर्षगाँठ की ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ। पाठकों, प्रशंसकों, शुभचिन्तकों और आलोचकों का हृदय से आभार।
Source link