देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई को अपने में समेटे राज्य महाराष्ट्र के हाथ से फिसल जाने के बाद भाजपा के लिए झारखंड में ‘करो या मरो’ जैसी स्थिति आ गई है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र के भी हाथ से निकल जाने के बाद झारखंड में कम से कम बहुमत वाली जीत जरूरी है, तभी पार्टी हाल के विधानसभा चुनावों से खराब प्रदर्शन से खोई हुई लय वापस पा सकती है।
आईएएनएस के अनुसार, भाजपा सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में किसी तरह से सरकार बनी और बहुमत के अभाव में महाराष्ट्र में बनी सरकार गिर गई। अब अगर झारखंड में भी प्रदर्शन खराब हुआ तो फिर 2020 में दिल्ली विधानसभा और फिर 2०21 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर बुरा असर पड़ सकता है। झारखंड में भी पाटीर् का प्रदर्शन गिरने पर भाजपा के कमजोर होने का संदेश जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिलहाल एक दर्जन रैलियां प्रस्तावित हैं। सूत्र बता रहे हैं कि हरियाणा की तरह झारखंड में भी वह कुछ अतिरिक्त रैलियां कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की झारखंड में फिलहाल दो-दो रैलियां हो चुकीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां झारखंड के पलामू और गुमला में रैली की, वहीं अमित शाह बीते 21 नवंबर को मनिका और लोहरदगा में जनसभा कर चुके हैं। अमित शाह की आगे दो, पांच, नौ, 14 और 17 दिसंबर को रैलियां होनी हैं। अमित शाह भी अपनी रैलियोंं की संख्या बढ़ा सकते हैं।
भाजपा ने झारखंड के लिए 40 स्टार प्रचारकों को लगाया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि इन स्टार प्रचारकों की रैलियों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से परेशान भाजपा झारखंड को लेकर किसी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा, ‘जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिले हैं, उन्हें चुनाव बाद सरकार में समायोजित करने का आश्वासन दिया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि पाटीर् को किसी भी सीट पर भितरघात का सामना न करना पड़े। झारखंड में एक-एक सीट सरकार बनाने में कीमती है।’
झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में मतदान होगा। 23 दिसंबर को चुनाव परिणाम जारी होंगे।