- सभी पक्षों के वकील आपस में बात करेंः CJI बोबड़े
- सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच कर रही सुनवाई
सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए सभी पक्षों के वकील आपस में बात करें. इसके लिए सभी पक्षों के वकीलों को 3 हफ्ते का समय दिया. 9 जजों की बेंच ‘आस्था बनाम अधिकार’ से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही है जिसमें कई धर्मों से जुड़ी आस्थाओं पर भी सुनवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे समेत अन्य आस्थाओं पर सुनवाई कर रही है. याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए सभी पक्षों के वकील आपस में बात करें. सीजेआई ने इसके लिए दोनों पक्षों के वकीलों को 3 हफ्ते का समय दिया और कहा कि वे आपस में बात करें और ये तय करें कि सर्वोच्च अदालत में किन-किन मुद्दों पर सुनवाई हो.
सबरीमाला पर 17 जनवरी को सुनवाई
चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि वकीलों की एक परिषद मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मामलों पर बहस करेगी. जबकि सबरीमाला मंदिर केस पर 17 जनवरी को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला, मुस्लिम महिलाओं, पारसी और दाउदी बोहरा मामलों के सभी पक्षों के वकीलों से एक साथ बैठने और इन मुद्दों पर क्या निर्णय लिया जा सकता है पर फैसला करने को कहा है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट 14 नवंबर को आए समीक्षा आदेश के सवालों पर ही सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा कि वो सबरीमला मामले की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर रही है. बल्कि 5 जजों की पीठ द्वारा भेजे गए मसलों पर विचार कर रहे हैं.
महिलाओं से जुड़े लंबित मामलों पर सुनवाई
संविधान पीठ सबरीमाला के अलावा और कई दूसरे धर्मों के बारे में भी सुनवाई करेगी. अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई होगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा. इसमें शामिल मुद्दे, संविधान के प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित हैं, जो किसी व्यक्ति के धर्म के अभ्यास और प्रचार के अधिकार को छूते हैं और दूसरों के बीच लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करते हैं.
कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं के ‘दरगाह’ और मस्जिद में प्रवेश करने के अधिकार से संबंधित इसी तरह के लंबित सवाल पर भी सुनवाई की जाएगी. इसके अलावा एक गैर-पारसी से शादी करने वाली पारसी महिलाओं को ‘अगियारी’ में प्रवेश पर रोक और दाऊदी बोहरा समुदाय के बीच महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी विचार करेगा.
9 न्यायाधीशों वाली पीठ का गठन पिछली बार 2017 में किया गया था जब कोर्ट ने न्यायमूर्ति के एस पुत्तास्वामी मामले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
9 जजों की बेंच में कौन-कौन
आज की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच में होगी जिसमें जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस एम. एम. शांतनगौडर, जस्टिस एस. ए. नजीर, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं.
इस बेंच में सबरीमाला केस से जुड़ी पीठ के किसी जज को शामिल नहीं किया गया है, जिसमें जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस ए.एन खनविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थे.
तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पिछली बेंच ने सबरीमाला पर फैसले देते हुए कहा था कि मुद्दा सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि इसका असर मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा.
अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. कोर्ट ने इस बारे में न्यायिक नीति और मिसाल पेश करने की बात कही थी और इसी मकसद से बेंच को यह मसला सौंपा गया था.