छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने बीजापुर के सारकेगुड़ा में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखा रिपोर्ट आते ही हंगामा हो गया.रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गए 17 लोग नक्सली नहीं थे वो आदिवासी थे.
बीजेपी सरकार पर सवाल उठे तो बीजेपी ने भी रिपोर्ट को सदन में पेश करने से पहले मीडिया में लीक होने को लेकर भूपेश सरकार को घेरा. इसे विधानसभा की अवमानना बताया.
दूसरी तरफ सत्तापक्ष के विधायकों ने सारकेगुड़ा कि रिपोर्ट आने पर राज्य की तत्कालिन रमन सरकार को निशाने पर लिया.मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही मुठभेड़ को फर्जी करार देती रही है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए लगातार आवाज उठाई.कांग्रेस ने रमन सिंह और तत्कालिन गृहमंत्री पर एफआईआर दर्ज कराने की भी मांग की
जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सारकेगुड़ा में 28 जून 2012 को हुई मुठभेड़ में मारे गए लोग नक्सली नहीं थे. बल्कि सारकेगुड़ा के ग्रामीण थे रिपोर्ट के अनुसार मुठभेड़ के दौरान गांव वालों की तरफ से किसी तरह की गोलीबारी भी नही की गई थी रिपोर्ट में न्यायिक आयोग ने बताया कि मारे गए लोग नक्सली थे, इस संबंध में सुरक्षाबल कोई प्रमाण नहीं दे सके हैं.आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा है कि पुलिस की जांच दोषपूर्ण है और उसमें हेराफेरी की गई है.
सारकेगुड़ा मुठभेड़ को लेकर पहले भी सियासी बहस गरमा चुकी है. रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर ये मुद्दा चर्चा में है…अब देखना यही होगा कि मौजूदा सरकार के इस पर क्या एक्शन लेती है. दोषी पुलिस और सुरक्षाबलों के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है या नहीं.