केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में बताया कि 1 जून 2020 से पूरे भारत में ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ की व्यवस्था लागू हो जाएगी। जिसका मकसद गरीबों खासकर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले लोगों को एक ही राशन कार्ड के जरिए अनाज उपलब्ध कराना है। ये व्यवस्था अगस्त महीने में चार राज्यों के दो क्लस्टरों (आंध्र प्रदेश-तेलंगाना और महाराष्ट्र-गुजरात) में शुरू हो चुकी है, वहीं अन्य राज्यों में इसे लागू करने के लिए फिलहाल अंतर्राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी पर काम चल रहा है।
सरकार के मुताबिक इस योजना से आम लोगों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज व अन्य राशन उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा राशन कार्ड जारी किया जाता है। लेकिन अन्य राज्य में जाते ही मजदूरों को उसका फायदा मिलना बंद हो जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नई व्यवस्था के बाद लोग अब किसी खास पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) दुकान से बंधे नहीं रहेंगे और वे कहीं भी राशन ले पाएंगे। दुकान मालिकों पर निर्भरता घटेगी और भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
मजदूरों के लिए फायदेमंद
‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ व्यवस्था का सबसे ज्यादा फायदा प्रवासी कामगारों को ही होगा। जो कई-कई महीनों तक काम की वजह से अपने राज्य के बाहर ही रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति बिहार-उत्तर प्रदेश से दिल्ली में नौकरी करने आए हैं तो उन्हें वहीं आसानी से पीडीएस दुकान पर राशन मिलेगा। साल 2011 की जनगणना में करीब 4.1 करोड़ लोग ऐसे मिले थे जो काम के लिए अन्य राज्यों में पहुंचे थे।
अगस्त में दो क्लस्टरों में लागू हुई योजना
इससे पहले अगस्त 2019 में नई व्यवस्था लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पासवान ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तथा गुजरात और महाराष्ट्र के दो क्लस्टरों में अंतर्राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी’ की शुरुआत की थी। जिसके बाद इन क्लस्टरों में रहने वाले लाभार्थियों को एक ही राशन कार्ड से दोनों राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का फायदा मिलना शुरू हो गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि जल्द ही 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा) में भी 1 जनवरी 2020 से विधिवत रूप से इंट्रा स्टेट राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया जाएगा।
एक जगह रहेगा पीडीएस लाभार्थियों का विवरण
जनवरी 2020 तक ये सभी 11 राज्य मिलकर एक सार्वजनिक वितरण ग्रिड का निर्माण कर लेंगे। जिसमें इन राज्यों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सभी लाभार्थियों का पूरा विवरण केंद्रीय योजना के लिए मौजूद रहेगा। इसके बाद वहां इस योजना को लागू कर दिया जाएगा। कुछ राज्यों में इस व्यवस्था को लागू करने में देरी इसलिए हो रही है, क्योंकि वहां पीडीएस दुकानों पर ePoS (इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट-ऑफ-सेल) मशीनें नहीं लग सकी हैं और उनके बिना अंतर्राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी होना संभव नहीं है। क्योंकि इन्हीं मशीनों के जरिए लाभार्थी का बायोमैट्रिक/आधार प्रमाणीकरण होता है और डाटा सर्वर तक पहुंचता है।
ePoS मशीन होने पर ही होगी पोर्टेबिलिटी
राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी की सुविधा केवल ऑनलाइन ePoS मशीन वाली उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से ही उपलब्ध होती है। आंकड़ों के मुताबिक देशभर में फिलहाल 4.1 लाख ePoS डिवाइसेस काम कर रही हैं, यानी करीब 77% दुकानों पर ही ये मशीन पहुंच चुकी है। 25 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इन मशीनों को लगाने के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं। इसके अलावा देश के 85 प्रतिशत से ज्यादा राशन कार्डों में लाभार्थियों के परिवार के कम से कम एक सदस्या का आधार नंबर दर्ज है।