नई दिल्ली: दुनिया में महिलाएं कहां से कहां पहुंच रही हैं लेकिन दुनिया के विकसित देशों में शुमार जापान में एक क्षेत्र ऐसा था, जहां कोई महिला अब तक नहीं पहुंच पाई थी. वो जगह है जापान के केंद्रीय बैंक के महिला कार्यकारी निदेशक का पद. बैंक ऑफ जापान की स्थापना अक्टूबर 1882 में हुई थी लेकिन पिछले 138 वर्षों के इतिहास में इस बैंक के कार्यकारी निदेशक के पद पर कभी किसी महिला की नियुक्ति नहीं हुई थी. अब जापान के केंद्रीय बैंक ने पहली बार एक महिला को कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है.
55 वर्षीय टोकिको शिमिज़ु को उन छह अधिकारियों में से एक के रूप में नियुक्त किया गया था जो बैंक के दैनिक बुनियादी कार्यों की देखभाल करते हैं. बैंक ऑफ जापान ने हाल ही में यह व्यापक फेरबदल किया है. शिमुजु ने 1987 में बैंक में काम करना शुरू किया था. वह 2016-18 के दौरान यूरोप में महाप्रबंधक और लंदन में मुख्य प्रतिनिधि थीं.
भले ही महिलाएं केंद्रीय बैंक के पेरोल पर 47 प्रतिशत से अधिक लोगों से हैं. लेकिन वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों में से केवल 13 प्रतिशत पद ही महिलाओं के पास हैं. जबकि लॉ, पेमेंट और बैंक नोट्स के विशेषज्ञ पदों का केवल 20 प्रतिशत महिलाओं के हिस्से आया है. यह आंकड़े बैंक के डेटाबेस से लिए गए हैं.
अब तक, महिलाओं को केवल इसके नीति बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिला है. उसमें भी नौ सदस्यों में से केवल एक महिला है. इतना ही नहीं कभी कोई महिला बैंक की गवर्नर भी नहीं बनी है.
प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने पहले “नारीवाद” नामक एक नीति के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने का संकल्प लिया था. जापान की प्रबंधन संरचना काफी हद तक पुरुष-प्रधान बनी हुई है. यह पिछले दशक में तब बदलनी शुरू जब जो उच्च शैक्षणिक संस्थानों में महिला प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि देखी गई थी.
डब्ल्यूईएफ के आंकड़ों से पता चलता है कि जी 7 राष्ट्रों में जापान लैंगिक समानता के मामले में सबसे नीचे है.