रामायण में अब तक राम, पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण संग वनवास को प्रस्थान कर चुके हैं. वहीं भरत ने भी भैया श्रीराम के वापस लौटने तक तपस्वी जीवन व्यतीत करने की प्रतिज्ञा ली है. वन में चलते चलते राम, सीता और लक्ष्मण, महासती अनुसुइया के यहां पहुंचे. जानें यहां उनके साथ क्या हुआ.
महासती अनुसुइया, देवी सीता से कहती हैं कि मित्र और नारी की सच्ची परीक्षा मुश्किल घड़ी में ही होती है. अनुसुइया कहती हैं- तुमने नारी धर्म निभाया है, तुम एक पतिव्रता पत्नी हो और आने वाले समय में नारियां देवी सीता का नाम धारण कर पतिव्रता धर्म पालन करने में सफल होंगी. अनुसुइया सीता को भेंट में वस्त्र और आभूषण देती हैं. श्रीराम, सीता और लक्ष्मण, महासती अनुसुइया और महर्षि से जाने की आज्ञा लेते हैं, जाने से पहले महर्षि, श्रीराम को बताते है की यहां से आगे जो वन हैं वहां राक्षसों के कारण उसमें ऋषियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है, श्रीराम कहते हैं कि वो उन सभी को हमेशा के लिए राक्षसों के भय से मुक्त कर देंगे.
राम-लक्ष्मण ने किया राक्षसों का संहार
महर्षि, श्रीराम को शरभंग ऋषि के आश्रम जाने को कहते हैं और साथ ही श्रीराम को सावधानी से जाने को कहते हैं, क्योंकि शरभंग आश्रम के रस्ते में उन्हें विराध नामक एक नरभक्षी राक्षस मिलेगा. श्रीराम, सीता और लक्ष्मण शरभंग मुनि के आश्रम की ओर प्रस्थान करते हैं. रस्ते में खतरनाक और बेहद विशाल विराध राक्षस उनपर हमला करता है और कहता है की तुम जैसी तपस्वियों को मैं मारकर खा लेता हूं. जैसे ही वो सीता की तरफ बढ़ता है श्रीराम और लक्ष्मण उसपर बाण से हमला करने लगते हैं परन्तु राक्षस पर कोई असर नहीं होता और वो सीता को उठा लेता है. लेकिन श्रीराम और लक्ष्मण तीर चलाना नहीं छोड़ते और अपने बाणों से राक्षस को घायल कर देते हैं और उसका वध करके वहां से निकल जाते हैं. वे महर्षि शरभंग के आश्रम पहुंचते है वहां उन्हें देवलोक से आए देवताओं के दर्शन होते हैं जो महर्षि से मिलने आए हैं.
श्रीराम, महर्षि शरभंग से मिलकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और महर्षि उन्हें बताते हैं कि देवता इंद्र उन्हें लेने आए थे. परंतु श्रीराम से मिलने के लिए उन्होंने इंद्र देव के साथ जाने के लिए मना कर दिया. श्रीराम से मिलने के बाद महर्षि शरभंग कहते हैं कि अब उनका समय समाप्त हो गया है और इसके बाद महर्षि शरभंग श्रीराम को अपना अंतिम प्रणाम करके इंद्र देव के पास चले जाते हैं. इसके बाद श्रीराम, सीता और लक्ष्मण अपने वन के सफर पर आगे बढ़ते हैं. श्रीराम को सभी मुनिवर और महर्षियों के दर्शन होते हैं. वे श्रीराम को बताते हैं कि यहां सभी महर्षियों की हत्या असुरों और राक्षसों ने की है और अब श्रीराम ही उनकी रक्षा कर सकते हैं.
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वन में बीते 10 वर्ष, अब होगा शूर्पणखा से सामना
श्रीराम, मुनिजनों और महर्षियों से कहते है की वे प्रतिज्ञा लेते हैं कि इन राक्षसों से घिरी इस भूमि को वो मुक्त करेंगे, असुरों और राक्षसों का खात्मा करेंगे. इसके बाद श्रीराम, लक्ष्मण और सीता आगे बढ़ते हैं और जहां सभी महर्षि हवन कर रहे होते हैं वहां श्रीराम और लक्ष्मण उनकी रक्षा करते हैं. उसी समय बहुत सारे राक्षस एक साथ आ जाते हैं परंतु एक एक कर श्रीराम और लक्ष्मण अपने शक्तिशाली बाणों से सभी राक्षसों का खात्मा कर देते हैं. अपने वन के सफर के दौरान श्रीराम और लक्ष्मण को बहुत सारे असुरों और राक्षसों से सामना होता है, जो उनपर हमला करने आते हैं. लेकिन राम और लक्ष्मण सब राक्षसों का नाश कर देते हैं और देखते ही देखते 10 वर्ष बीत जाते हैं.
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इन 10 वर्षों में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण ने कई महर्षियों के दर्शन किए और उनके आशीर्वाद के साथ साथ ढेर सारा ज्ञान लिया और अब राम महर्षि अगस्त्य से मिलने की इच्छा रखते हैं. इसलिए वे मुनिवर सुतीक्ष्ण से मिलने आए हैं और मुनिवर सुतीक्ष्ण उन्हें महर्षि अगस्त्य की आश्रम ले जाते हैं. आगे के भाग में दिखाया जाएगा की कैसे श्रीराम, सीता और लक्ष्मण, महर्षि अगस्त्य से मिलते हैं और कैसे होता है श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शूर्पणखा से आमना सामना.