नई दिल्ली: भारत और अमेरिका भले ही सबसे मजबूत रणनीतिक साझेदार के तौर पर विश्व पटल पर उभर रहे हों, लेकिन करोना संक्रमण काल के चलते भारतीय प्रोफेशनल्स के साथ-साथ अब भारतीय छात्रों के लिए यूएस की डगर मुश्किल हो गई है.
अमेरिका में यूएस इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट स्टूडेंट्स के लिए एजुकेशन वीजा देता है. जिसने कई बड़े बदलाव कर दिए गए हैं जो सीधे तौर उन भारतीय छात्रों के लिए अच्छी खबर नहीं है जिनका सपना अमेरिका में उच्च शिक्षा पाने का है.
यूएस ने रद्द किया एम 1 वीजा
M1 वीजा के तहत विदेशी छात्रों को पार्ट टाइम या वोकेशनल स्टडी करने की इजाजत मिलती है. नए आदेश में ऑनलाइन क्लासेज लेने वाले छात्रों को अमेरिका छोड़ना होगा. सिर्फ F1 वीजा वाले छात्रों को यूएस में रहने की अनुमति मिलेगी. इस वीजा में फुल टाइम क्लासरूम एकेडमिक एजुकेशन लेने की इजाजत है. हालांकि इसमें भी छात्र 1 सप्ताह में 20 घंटे अपनी जेब खर्च के लिए काम कर सकते हैं.
वहीं अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को कोरोना काल में भी क्लासरूम जाना होगा.
ऑनलाइन एजुकेशन ली तो रद्द होगा वीजा
इसके पीछे राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन की जो सबसे बड़ी मंशा है, वह ये कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले यूएस प्रशासन चाहता है कि कोरोना काल में भी स्थिति सामान्य दिखाई जाए. जिसके लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर सुचारू तरह से खोलने का दबाव है. इसी के तहत विदेशी छात्रों के लिए नए नियम बनाए गए हैं. जिसमें जो छात्र फुल एकेडमिक ईयर की रेगुलर क्लासेज लेंगे उन्हें ही वीजा मिलेगा. हालांकि वे भी एक सत्र में 4 घंटे की ऑनलाइन क्लास भी ले सकते हैं. इसमें उन विश्वविद्यालय को एक्सट्रैक्शन के तौर पर रखा गया है, जहां हाइब्रिड कोर्स उपलब्ध हैं. इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की क्लासेज एक साथ दी जाती हैं.
अमेरिका प्रशासन के आदेश का सबसे बुरा असर भारत पर ही पड़ने वाला है, क्योंकि अमेरिका में चीन के बाद सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भारतीय हैं. जो अमेरिका में कुल विदेशी छात्रों का 18% और संख्या में 4.78 लाख से भी ज्यादा हैं. अगर इनमें से अधिकांश छात्रों को अमेरिका छोड़ना पड़ा तो इसका असर भारत के डायस्पोरा पर भी पड़ेगा, क्योंकि यह छात्र आमतौर पर अमेरिका में पढ़कर वही महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हैं जिससे भारतीय डायस्पोरा यूएसपी मजबूत हो जाता है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि ट्रम्प प्रशासन के इस आदेश को अंतिम तौर पर माना जा रहा है. हार्वर्ड समेत कई विश्वविद्यालय अपने अधिकांश कोर्स को हाइब्रिड कर रहे हैं जिससे उन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की क्लासेज देने की इजाजत मिल जाए और अच्छे विदेशी छात्रों को भी न गंवाना पड़े. वहीं कोलंबिया विश्वविद्यालय ने अमेरिकी सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का भी मन बना लिया है. लेकिन कुल मिलाकर अमेरिका का सपना देखने वाले प्रोफेशनल्स के साथ-साथ छात्रों के लिए भी अब डगर पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो चुकी है.
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