मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बुरे दिन टले नहीं
- उमा भारती का आशीर्वाद लेकर बड़ामलहरा कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल
- निगम बोर्ड का अध्यक्ष या विधानसभा समिति सदस्य बन हो सकते उपकृत
- बड़ामलहरा विधानसभा में इतिहास दोराहया
धीरज चतुर्वेदी
लगता है कांग्रेस के संकट के दिन अभी टले नहीं है। बड़ी खबर ने सभी को चौंका दिया कि छतरपुर जिले के बड़ामलहरा विधानसभा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न लोधी ने भाजपा कि सदस्यता ग्रहण कर ली। - अंदरखाने सूत्रों के मुताबिक उमाभारती के आशीर्वाद से यह दल ओर दिल का बदलाव हो सका। प्रद्युम्न लोधी को किसी बोर्ड का अध्यक्ष या विधानसभा समिति का सदस्य बनाया जा सकता है। एक सम्भावना ओर संकेत दे रही है कि उमा भारती के भतीजे खरगापुर विधानसभा से विधायक राहूल लोधी को मंत्री मंडल में शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस विधायक के पाला बदलने ने बड़ामलहरा विधानसभा में एक बार फिर इतिहास कि पुनरावृति हुई है। स्वयं उमा भारती ने भाजपा को छोड़ा था तब वह इसी विधानसभा से विधायक थी। उमा भारती ने अलग दल का गठन किया था। पिछले विधानसभा चुनाव के समय चर्चाये थी कि कुछ टिकिट बीजेपी के इशारे पर कांग्रेस में बाँटे गये। जिसमे प्रद्युम्न लोधी का नाम भी शामिल था। बताते है कि दो वर्ष पहले तक दमोह जिले में प्रद्युम्न लोधी कि भाजपा के कददेवार नेताओं में गिनती होती थी। वह दमोह कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष भी रहे। दमोह जिले के हिंडोरिया के राजा परिवार से ताल्लुकात रखने वाले प्रद्युम्न लोधी 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से दमोह विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बनाये थे। उस इलाके में बीजेपी के क्षत्रप जयंत मलैया कि दावेदारी के कारण नाराज होकर प्रद्युम्न लोधी ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस कि सदस्य्ता ले ली थी। बताते है कि प्रद्युम्न लोधी को बड़ामलहरा, उनके चचेरे भाई राहूल लोधी को दमोह ओर सागर जिले कि बंडा सीट से बीजेपी के एक नेता के इशारे पर कांग्रेस से प्रत्याशी बनाया गया था। प्रद्युम्न लोधी कांग्रेस से विधायक अवश्य थे लेकिन उनका बीजेपी से लगाव ख़त्म नहीं हुआ था.। जानकारी अनुसार कमलनाथ कि सत्ता पलटने के बाद कई बार प्रद्युम्न लोधी कि मुख्यमंत्री से मुलाक़ात हुई। वह लगातार भाजपा नेताओं के सम्पर्क में रहे। आज उन्होंने बीजेपी कि सदस्यता ग्रहण कर एक प्रकार से घर वापसी की है। अब सम्भावना बढ़ी है कि लोधी समाज के अन्य कांग्रेस विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते है। प्रद्युम्न लोधी कि पल्टी से बड़ामलहरा विधानसभा मे अत्तीत को याद कराने वाला घटनाक्रम है। 2003 में कांग्रेस कि सत्ता को बेदखल कर उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थी जो बड़ामलहरा विधानसभा से ही विधायक चुनी गई थी। भाजपा से त्यागपत्र दे कर उन्होंने नये दल का गठन किया था। अब उमा भारती के बाद प्रद्युम्न लोधी गवाह बने है। अंतर इतना है कि उमाभारती ने सत्ता को दरकिनार किया था ओर प्रद्युम्न लोधी सत्ता कि चासनी से चिपक गये है।
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