Saturday, March 15, 2025
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After the Speaker of Rajasthan Assembly, Chief Whip of Congress also reached the Supreme Court – पायलट खेमे की अयोग्यता का मामला, विधानसभा स्पीकर के बाद कांग्रेस के चीफ व्हिप भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

पायलट खेमे की अयोग्यता का मामला, विधानसभा स्पीकर के बाद कांग्रेस के चीफ व्हिप भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

सचिन पायलट के खेमे के विधायक (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

राजस्थान (Rajasthan) में जारी राजनीतिक संकट के बीच अब राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) के कांग्रेस के चीफ व्हिप महेशी जोशी भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए हैं. उन्होंने हाईकोर्ट के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है. विधानसभा स्पीकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे चुके हैं. हाईकोर्ट ने स्पीकर को सचिन पायलट व 18 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने से रोकते हुए यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था.

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राजस्थान विधानसभा  के स्पीकर ने दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने याचिका में हाईकोर्ट के 19 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने पर रोक लगाने को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के किहोतो फैसले के मुताबिक अनुशासनहीनता से रोका जाए. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि हाईकोर्ट किहोतो मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तैयार की गई लक्ष्मण रेखा को पार न करे. जिसमें लंबित अयोग्य कार्यवाही में न्यायिक हस्तक्षेप को निर्णायक रूप से रोका गया है.

स्पीकर ने अयोग्य ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट की आगे की कार्यवाही पर भी रोक की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा तय किए गए मुद्दों को फिर से खोलकर उच्च न्यायालय ने घोर न्यायिक अनुशासनहीनता बरती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट फैसला नहीं सुना सकता.

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याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के पास दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (ए) की वैधता तय करने का कोई अधिकार नहीं है. पार्टी की आलोचना अयोग्यता के लिए एक आधार है जो स्पीकर को तय करना है. लोकतांत्रिक असहमति या फ्लोर क्रॉसिंग या दलबदल के लिए विधायकों के आचरण का फैसला स्पीकर को करना होता है और उच्च न्यायालय द्वारा तथ्य खोजने पर रोक लगाना अनुचित है.

स्पीकर ने कहा है कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने अयोग्यता की कार्यवाही को रोकने के लिए कोई कारण नहीं दिया है. सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले ने हाईकोर्ट को  दूसरे पक्ष द्वारा मांगे गए दलबदल विरोधी कानून प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को पहले ही रोक दिया था. सन 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर हाईकोर्ट के समक्ष दूसरे पक्ष (सचिन कैंप) की याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी.


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