भोपाल। फीजियोथेरेपी मेडिकल विज्ञान की ऐसी प्रणाली है जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज संभव होता है। देश में इसके प्रति जागरूकता कम होने से बहुत कम लोग इसका फायदा ले पाते हैं। फीजियोथेरेपी में ऑस्टिओअर्थराइटिसटिस (गठिया) और स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का इलाज है। इसमें किसी तरह का साइड इफ्फेक्ट नहीं होना इसको आकर्षक बनाता है। राजधानी भोपाल की वरिष्ठ फिजियोथेरिपिस्ट डॉ. तपस्या तोमर ने कहा कि हमारी जीवन शैली दिन प्रति दिन तेज होती जा रही है, ऐसे में हमें फिजियोथेरेपी को अपना कर खुद को दुरुस्त रखना होगा। हम योग को प्राथमिक चिकित्सा की श्रेणी में ला रहे हैं जब की फीजियोथेरेपी योग का ही शुद्ध रूप है। फीजियोथेरेपी में हम मरीज की मांशपेशियों की गतिविधि समझ उसका इलाज करते हैं। खिलाड़ी, वरिष्ठ नागरिक और चोटों का इलाज इस विधि से आसानी से किया जा सकता है। फीजियोथेरेपी ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें बिना किसी दुष्प्रभाव के इलाज संभव होता है। भोपाल मे पहली बार फीजियोथेरेपी के क्षेत्र में इतिहास रचा गया है।
वरिष्ठ फिजियोथेरिपिस्ट और पेल्विक फ्लोर एक्सपर्ट डॉ. तपस्या तोमर ने वर्कशॉप में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस परेशानी को फीजियोथेरेपी से ठीक किया जा सकता है। डॉ. तपस्या ने इसकी समपूर्ण जानकारी अन्य फिजियोथेरेपी स्टूडेंट्स एवंं अन्य उपस्थित फिजियोथेरेपिस्ट से करवाकर भी दिखाया। डॉ. तपस्या ने बताया diastasis Recti महिलाओ में, नवजात बच्चों में एवंं पुरुषों मे देखने को मिलती है। लेकिन सबसे ज्यादा गर्भावस्था के बाद महिलाओं में ये परेशानी होती है, जिसमे पेट की मांसपेशियां कमजोर होकर एक दूसरे से अलग हो जाती हैं, जिसके कारण हॉर्निया भी हो जाता है। इस परेशानी को बिना सर्जरी के फीजियोथेरेपी से पूर्णत: ठीक केसे कर सकते हैं। डॉ. तपस्या ने इस तकनीक का प्रायोगिक तरीका भी वर्कशॉप में बताया। यह वर्कशॉप वीनस फिजियोथेरेपी कॉलेज के इंचार्ज डॉ. उदयभान सिंह ने किया।