नई दिल्ली। भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर (Manipur Women Stripped) में चल रही हिंसा के बीच एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां पर एक व्यक्ति की हत्या करके उसके परिवार की दो महिलाओं को नग्न करके सड़क पर घुमाया गया है। गैंगरेप किया गया। घटना 4 मई को राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में होना बताया जा रहा है, लेकिन इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस घटना का वीडियो सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से पूछा कि अपराधियों पर कार्रवाई के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं? मुख्य न्यायाधीश धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के दौरान महिलाओं का एक औजार की तरह इस्तेमाल कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह संविधान का सबसे घृणित अपमान है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फिर इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। संसद के मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मणिपुर की घटना से 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार होना पड़ा है। किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। वहीं, मणिपुर CM एन बीरेन सिंह ने कहा है कि हम सभी आरोपियों की मौत की सजा दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। मैंने पुलिस को सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। पुलिस ने किडनैपिंग, गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
क्यों हो रही है हिंसा
आपको बता दें कि मणिपुर की जनसंख्या करीब 38 लाख है।(manipur Riot) मणिपुर में तीन समुदाय के नागरिक निवास करते हैं। मैतेई हिंदू और जनजातीय समूह कुकी और नगा। पहाड़ी इलाक़ों में कुकी, नगा समेत दूसरी जनजाति के लोग रहते हैं। जबकि इंफ़ाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोग रहते हैं। मैतेई समुदाय के ज़्यादातर लोग हिंदू हैं। जबकि नगा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर ईसाई धर्म के हैं। जनसंख्या में ज़्यादा होने के बावजूद मैतेई हिंदू मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग में रहते हैं, जबकि बाक़ी के 90 प्रतिशत हिस्से पर नगा, कुकी और दूसरी जनजातियां रहती हैं। मणिपुर के मौजूदा जनजाति समूहों का कहना है कि मैतेई का जनसांख्यिकी और सियासी दबदबा है। इसके अलावा ये पढ़ने-लिखने के साथ अन्य मामलों में भी आगे हैं। मणिपुर के कुल 60 विधायकों में 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं, बाकी 20 नगा और कुकी जनजाति से आते हैं। अब तक हुए 12 मुख्यमंत्रियों में से दो ही जनजाति से थे। ऐसे में यहाँ के जनजाति समूहों को लगता है कि राज्य में मैतेई लोगों का दबदबा है। अब मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। अगर मैतेई को भी जनजाति का दर्जा मिल गया तो नगा और कुकी के लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे और मैतेई पहाड़ों पर भी ज़मीन ख़रीदना शुरू कर देंगे। ऐसे में वे और हाशिए पर चले जाएंगे।