रामकुमार नायक/रायपुरः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, धान की खेती के अलावा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा भी बेहद खास है. यहां कई ऐतिहासिक धरोहर है, जिन्हें सहेज कर रखा गया है. ऐसे ही एक ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर भगवान गणपति जी का है. छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग पहले लाल आतंग के लिए जाना था. लेकिन इस इलाके में कई ऐसे प्राचीन धरोहर है, जिनका इतिहास काफी रोचक है.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में प्राचीन ऐतिहासिक भगवान गणपति का यह विशेष मंदिर है. दंतेवाड़ा के बैलाडिला की ढोलकल पहाड़ी पर भगवान गणेश विराजमान हैं. यह मंदिर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है, जो ढोलक के आकार की बताई जाती है. इसी आकार की वजह से गणेश जी को यहां ढोलकल गणेश के नाम से जाना जाता है. वहीं इस पूरी पहाड़ी को भी ढोलकल पहाड़ी कहा जाता है.
इतनी ऊंची कैसे पहुंची प्रतिमा
इतनी ऊपर गणेश जी की प्रतिमा कैसे पहुंची, यह आज भी कोई नहीं जानता है. अंचल के आदिवासी भगवान गणेश को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं. प्रतिमा के दर्शन के लिए उस पहाड़ पर चढ़ना बहुत कठिन है. विशेष मौकों पर ही लोग वहां पूजा-पाठ के लिए जाते हैं. करीब तीन फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से बनी यह प्रतिमा बेहद कलात्मक है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश और परशुराम जी में युद्ध इस पहाड़ी के शिखर पर हुआ था. युद्ध में परशुराम जी के फरसे से गणेश जी का एक दांत टूट गया. इस वजह से गणपति जी एकदंत कहलाते हैं. परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 22:04 IST
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