एक ग्राम पंचायत ऐसी भी है जहां के लोग आज तक बिजली का उजाला ही नही देखे, अब ग्रामीणों ने चेतावनी दिया है कि बिजली नही तो वोट नही।जी हां ठीक सुना आपने कि आज भी ऐसी ग्राम पंचायत है जहां के लोग बिजली का उजाला नही देखे। देश आजाद होने के 76 वर्ष पूरे होकर 77 वां वर्ष चल रहा है लेकिन उस ग्राम पंचायत में आज तक सरकार बिजली नही पहुंचा पाई।मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में आज भी एक ऐसी ग्राम पंचायत है जहां आजादी के 77 साल बाद भी ग्रामीण बिजली, पानी को तरस रहे हैं | शासन की सारी योजनाये कागजों में चल रही है। चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की सभी के सारे दावे ग्राम पंचायत बिछिया में खोखले साबित होते हैं | आदिवासियों के नाम पर जम कर बंदरबांट हो रहा है और आदिवासी आज भी नंगे भूखे हैं और ग्रामीण अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर हैं चुनाव के समय में सारे दलों के नेता बड़े – बड़े वादे करने के बाद दुबारा मुंह नहीं दिखाते हैं | आईये चलते हैं उमरिया जिले के करकेली जनपद अंतर्गत आने वाली पंचायत बिछिया का हाल देखें क्या है, सबसे पहले आपको बता दें ग्राम पंचायत बिछिया मैकल पर्वत श्रंखला पर बसा उमरिया जिले का आख़री गाँव है, ग्राम पंचायत मुख्यालय पंहुचने के लिए 5 किलोमीटर खडा पहाड़ चढ़ना पड़ता है और फिर 17 किलोमीटर आड़े – टेढ़े रास्ते से पहाड़ के ऊपर चलना पड़ता है | सबसे पहले चलते हैं ग्राम महोबा दादर यहाँ न बिजली है और न ही पानी है, यहाँ बिजली न होने के कारण बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं| जिले का कोई भी अधिकारी इस पंचायत में जाना ही नहीं चाहता है।यहां का कक्षा 5 का छात्र रहम सिंह कहता है कि हम बिजली के बिना पढ़ नही पाते, सरकार हमको बिजली दे। वहीं दूसरा छात्र मनीष भी कहता है कि हम रात में नही पढ़ पाते हैं, सरकार हमको लाइट दे।गांव के बुजुर्ग छोटे सिंह का कहना है कि हमारे यहां लाइट नही है हम सरकार से गुहार लगा कर थक गए हैं, हमारा जीना दूभर है, अब कैरोसिन भी नही मिलता है। हम लोग लकड़ी के सहारे जीवन जी रहे हैं।वहीं गांव की लीला बाई का कहना है कि गर्मी आते ही हम दिन भर पानी ढोते रह जाते हैं, हमको 5 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। अब चलते हैं ग्राम पंचायत मुख्यालय बिछिया में वहां का भी हाल देखें ग्रामीण यहां भी किसी तरह जीने को मजबूर हैं। यहां भी बिजली और पानी की विकराल समस्या है। अब तो ग्रामीण इतना परेशान हो चुके हैं कि जिले के कलेक्टर के पास आकर ज्ञापन भी सौंप दिए कि हम लोगों को बिजली नही मिली तो अब हम लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे।ज्ञापन देने आए ग्राम पंचायत बिछिया के निवासी दयाल धुर्वे ने बताया कि हमारे यहां आजादी के बाद से अभी तक लाइट नही है और हम लोग बहुत बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब नही, अब तो बस बिजली नही तो वोट नही।वहीं इस मामले में जिले के कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन का कहना है कि 70 साल से लाइट न लगना अपने आप मे गम्भीर समस्या है हम इसका परीक्षण करवाएंगे और जो भी होगा, जल्द कार्रवाई करेंगे।गौरतलब है कि यहां किसी जमाने मे बिजली के लिए सोलर प्लेट और सब स्टेशन की व्यवस्था 197 लाख रुपये से की गई थी जो कुछ दिन चलने के बाद बन्द हो गई और कोई लौट कर देखने नही गया।वहीं आदिवासियों की हितैषी बनने वाली केंद्र और प्रदेश की सरकारें और अधिकारी आदिवासियों को बजट डकारने का माध्यम मात्र बना लिए हैं, वहीँ नेता भी पांच साल में एक बार बीहड़ पहाड़ पर जाकर सारी समस्या हल करने का आश्वासन देकर चले आते हैं। इन्ही झूठे वायदों से परेशान होकर अब ग्रामीण मतदान का बहिष्कार करने का एलान कर दिए हैं।