उज्जैन। पुलिस की चार विशेष टीमों ने आज उज्जैन शहर में संचालित चार फर्जी ऑफिसों पर दबिश देकर एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर धोखाधड़ी करने वालो पर बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान पुलिस ने चार अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर इन ऑफिसों में काम करने वाले 130 नव युवक युवतियों से पूछताछ की। एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि आज शहर मे चार विशेष टीमों ने क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर कुबेर होटल के ऊपर संचालित रिसर्च मार्ट लिमिटेड,स्टॉक रिसर्च एंड बुलिश इंडिया, ए.के. बिल्डिंग चौराहा पर संचालित मनी मैग्नेट रिसर्च लिमिटेड, तीन बत्ती क्षेत्र में विशाल मेगा मार्ट की तीसरी मंजिल पर संचालित चॉइस ब्रोकिंग फर्म, शंकु मार्ग पर संचालित एंजेल वन लिमिटेड पर कार्यवाही कर यहां से बड़ी संख्या में लैपटॉप और मोबाइल फोन, निवेशकों की निजी जानकारी और मोबाइल नंबरों की सूची, फर्जी दस्तावेज और अन्य संदिग्ध सामग्री जब्त की। इन ऑफिसों का संचालन करने वाले गिरोह के 5 मुख्य आरोपियों में से 2, अजय पंवार और शशि मालवीय को गिरफ्तार कर लिया गया है व अन्य 3 आरोपी चंदन भदौरिया, दीपक मालवीय और विनय राठौर की तलाश की जा रही है। यह मिला जांच में….महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच करने पर पाया गया की आरोपियों द्वारा निवेशकों की सूची कहां से प्राप्त की। इनके पास किसी भी प्रकार का वैध लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन नहीं मिला।
इनकी गतिविधियां पूरी तरह अवैध और धोखाधड़ी से भरी पाई गईं। यह गिरोह संगठित तरीके से फर्जी एडवाइजरी कंपनियों के माध्यम से भोले-भाले निवेशकों को ठगने का काम कर रहा था। ये कंपनियां अपने आपको शेयर मार्केट की वैध फर्म बताकर लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करती थीं। निवेशकों को डिमैट अकाउंट खुलवाने और शेयर मार्केट में निवेश करने पर अत्यधिक लाभ का झांसा दिया जाता था। जांच में पाया गया कि ये कंपनियां भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) में पंजीकृत नहीं हैंIइन कंपनियों के अलग-अलग नामों से ऑफिस स्थापित करते थे और प्रत्येक स्थान पर अपने कार्यों को वैध रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते थे। इनके कर्मचारी निवेशकों को भारी मुनाफे का लालच देकर निवेश के लिए राजी करते थे। फर्जी एडवाइजरी कंपनियां न केवल निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करती थीं, बल्कि मोटा कमीशन भी वसूलती थीं। जब निवेशकों का पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता था, तो इसे जानबूझकर घाटे (लॉस) में दिखाया जाता था, और उनकी पूरी राशि हड़प ली जाती थी। इसके अतिरिक्त, जब निवेशकों को लाभ होता था, तो इन कंपनियों द्वारा उस लाभ का 30% से 40% तक कमीशन गुपचुप तरीके से काट लिया जाता था, जिसकी जानकारी निवेशकों को बिल्कुल नहीं दी जाती थी।निवेशकों की निजी जानकारी का होता था दुरुपयोगइन ठगों ने निवेशकों की निजी जानकारी, जैसे संपर्क विवरण और वित्तीय स्थिति का भी दुरुपयोग किया। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि ये कंपनियां निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए एक संगठित जाल बिछाती थीं। इन कंपनियों का भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) में पंजीकृत न होना यह दर्शाता है कि ये फर्म न तो किसी नियामक मानकों का पालन करती थीं और न ही उनके पास वैध वित्तीय सलाहकारों के रूप में काम करने की अनुमति थी। यह गिरोह कानून की अनदेखी कर न केवल निवेशकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि शेयर बाजार में विश्वास को भी ठेस पहुंचा रहा था।