पूरे देश के साथ साथ ही रीवा जिले में भी नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है माता को खुश करने के लिए जहां पूजा अर्चना भण्डारे किये जा रह है वहीं कुछ समुदाय के लोग भगवती की भक्ति मे इस तरह लीन है कि वह अपने आपको कष्ट में डालने से भी नही चूक रहे। यह कैसी भक्ती, कैसी शक्ति और कैसी आस्था है जिसे भक्त कई वर्षो से निभाते चले आ रहे है।
इंसान के शरीर में कहीं एक कांटा भी चुभ जाये तो दर्द की लहर पूरे शरीर मे दौड जाती है लेकिन श्रद्धा ओर विश्वास के कारण एक मोटी राॅड गाल में आरपार हो जाती है पर इन भक्तों को कोई तकलीफ नही होती। यह कारनामें इस बात को सोचने के लिए मजबूर करते है कि कहीं ना कहीं कोई शक्ति विद्यमान है जिसे ये भक्त आभास करते है और उसी के चलते यह सब कुछ कर जाते है जिसे देख और सुनकर रोंगटे खडे हो जाते हैं। छोटी सी सुई के चुभने से दर्द का अहसास होने लगता है लेकिन भक्ति के रस मे डूबे भक्त अंगारों से लेकर नुकीली राड़ जिस्म से आर-पार करने से नही चूकते और मानो उन्हे दर्द का अहसास भी नही होता।
विंध्य क्षेत्र में कई जगह ऐसी है जहां भक्त जोखिम भरे कारनामें देवी माता की आस्था से बेधडक करते है भक्ति मे लीन इन नौजवानों के गाल को बाने से छेदा जा रहा है लेकिन भगवती की शक्ति और आस्था इन पर ऐसी जुडी हुई है कि इन्हे इसका तनिक दर्द भी महसूस नही हुआ।विंध्य क्षेत्र में शरीर पर बाना छेदने, अंगारो और नुकीले किलों पर चलने, ज्वारा और काली खप्पड़ खेलने की परम्परा कई वर्षो से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि लोग खुशहाली की मनौती मांगते है और पूरी होने पर घर का मुखिया नवरात्रि मे भक्त भगवती को खुश करने के लिए व्रत रखता है और स्वेच्छानुसार अपनी आस्था से ली गई प्रतिज्ञा को निभाता है।
यह हैरतअंगेज कारनामे देख श्रद्धालुओ के भी रोगटे खडे हो जाते है पर भगवती की आस्था के चलते भक्त दूर दूर से खिचे चले आते है। आमतौर पर ये परंपरायें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ज्यादा होती है लेकिन यह रीवा में कई शिक्षित समुदाय के लोग भी ऐसे हैरत अंगेज कारनामें दिखाते है। रीवा जिले के महसांव गांव में चौरसिया परिवार के हर घर का एक सदस्य नवरात्रि में बाना छेद कर अपनी भगवती के प्रति आस्था प्रकट करता है। कुल देवी देवताओं की पूजा करने के बाद 8 से 10 फिट लम्बी लोहे की नुकीली राड से इन भक्तो के गले छेद कर माता को खुश करने की परपंरा पीढी दर पीढी चली आ रही है।