अल्पसंख्यकों को धार्मिक शिक्षा का अधिकार देता है यह अनुच्छेद
समानता की मांग उठाने वालों को आर्टिकल 30(1ए) पर भी है एतराज
नई दिल्ली। ट्विटर पर गुरुवार को ‘#आर्टिकल30हटाओ’ टॉप ट्रेंड कर रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस मुहिम में शामिल हो गए। उन्होंने भी संविधान के इस अनुच्छेद को हटाने की मांग की है।
भारत के ट्विटर ट्रेंड्स में एक हैशटैग ने अधिकांश लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा। गुरुवार की दोपहर को ट्विटर पर पॉलिटिकल ट्रेंड्स के अंतर्गत ‘#आर्टिकल30हटाओ’ ट्रेंड कर रहा था। बता दें कि भारत के संविधान का आर्टिकल 30 देश में अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना और उनको चलाने के अधिकार के बारे में है। ट्विटर पर ‘#आर्टिकल30हटाओ’ ट्रेंड कराने वाले लोगों का मानना है कि यह देश के बहुसंख्यकों के साथ भेदभाव है, और उन्हें अपने धर्म के अनुसार शिक्षण संस्थानों को चलाने की अनुमति नहीं है।
देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को 'आर्टिकल 30' सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहा है। ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्मों को नहीं मिलती। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है, तो 'आर्टिकल 30' की क्या जरुरत!#आर्टिकल_30_हटाओ
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 28, 2020
क्या है आर्टिकल 30 में
बता दें कि संविधान का ‘भाग-3’ देश के नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों के बारे में बात करता है। इस भाग में आर्टिकल 12 से 35 तक शामिल हैं। जहां तक आर्टिकल 30 का सवाल है, तो जैसा कि हमने बताया कि यह अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना और उनको चलाने का अधिकार देता है। इसके तहत भाषा और धर्म, दोनों के आधार पर अल्पसंख्यक की श्रेणी में आने वाले समुदाय को यह अधिकार दिया गया है।
The purpose of A30 is to ensure citizens are not discriminated /denied equal treatment. In practice, it has started to mean that non-minority institutions (Hindu) can be denied the right. In SECULAR India, no such provision is needed #आर्टिकल_30_हटाओ Make India Safe for Diversity pic.twitter.com/5kvlZU2qFt
— 🇮🇳 Padmaja (@prettypadmaja) May 28, 2020
आर्टिकल 30(1) और 30(1A)
आर्टिकल 30(1) में लिखा है, ‘भाषा या धर्म के आधार पर जो भी अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अपनी मान्यता के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उन्हें चलाने का अधिकार होग।’ आर्टिकल 30(1A) में लिखा है, ‘यदि किसी अल्पसंख्यक समुदाय के द्वारा स्थापित और संचालित शिक्षण संस्थान का अधिग्रहण राज्य द्वारा ज़रूरी हो जाता है, ऐसी स्थिति में राज्य, अधिग्रहण के एवज में देने वाला मुआवजा ऐसे तय करेगी कि अल्पसंख्यकों को मिले अधिकार में अंतर न आए।’
आर्टिकल 30(2)
इसके मुताबिक, ‘शैक्षणिक संस्थाओं को सहायता देने के दौरान, राज्य किसी भी संस्थान के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगा कि वो धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के अधीन संचालित किया जाता है।’ बता दें कि 27 जनवरी, 2014 के भारत के राजपत्र के मुताबिक, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिला है।
आर्टिकल 30 की विशेषताएं
आर्टिकल 30 में समानता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ अधिकारों की रक्षा करने का शामिल है। इसके अलावा इसमें धर्म और भाषा के आधार पर सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित और प्रबंध करने का अधिकार है। साथ ही इसके अंतर्गत देश की सरकार धर्म या भाषा की वजह से किसी भी अल्पसंख्यक समूह द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थानों को सहायता देने में कोई भी भेदभाव नहीं करने की बात कही गई है।
Muslims can give knowledge regarding Kuran in their Madarasa, But Hindus cannot give knowledge of Geeta, Ramayana etc in School.. Why so much biased rules in our country.#आर्टिकल_30_हटाओpic.twitter.com/NJH31a2ghE
— Pramod Upadhyay (@Pramod030383) May 28, 2020