सावधान मध्यप्रदेश में लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी तेजी पर चूहों और अन्य जानवरों से फैलने वाली संक्रामक बीमारी अब तेजी से अपने पैर फैलाने लगी लीवर और किडनी होती है फेल।मध्यप्रदेश के साथ उमरिया जिले में में भी लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी में भी पैर फैलाने लगी। जिले में अभी तक 2 मौत हो चुकी है और 1 गम्भीर हालत में जबलपुर मेडिकल कालेज में इलाजरत है। यह बीमारी खास कर चूहों से फैलती है।
जिले में अभी तक 2 मौत हो चुकी है जिसमे 13 वर्षीय बैगा जनजाति का किशोर ग्राम सेमरा निवासी और 3 वर्षीया पटेल समाज की बालिका ग्राम नौगँवा निवासी की मौत हो चुकी है तो वहीं शान्ति मार्ग उमरिया निवासी 35 वर्षीय युवक जिंदगी और मौत के बीच जबलपुर मेडिकल कालेज में संघर्ष कर रहा है।वहीं जिला अस्पताल में पदस्थ इपीडिमोलॉजिस्ट अनिल सिंह ने इस बीमारी के बारे में बताया कि इस बीमारी का वाहक चूहा है।
चूहे के शरीर पर छोटे-छोटे वायरस होते हैं जो मनुष्य को प्रभावित करते हैं चूहा जहां पेशाब करता है या खाने – पीने की किसी वस्तु को जूठा कर देता है और मनुष्य अनजाने में उसको खा लेता है अथवा उस बिस्तर या कपड़े का उपयोग करता है तो उसके वायरस स्किन के माध्यम से शरीर मे प्रवेश कर जाते हैं। उसके बाद मनुष्य को बुखार, दर्द, उल्टी, दस्त या शरीर पर लाल चकत्ते या और भी सामान्य तकलीफ हो जाती है। उसके बाद इलाज से जल्दी ठीक नही होते हैं, ऐसी स्थिति में सबसे पहले लीवर और किडनी पर उसका दुष्प्रभाव पड़ता है, जिससे रक्त अशुद्ध होता है उसमें बहुत सारे लक्षण मिलते हैं और आदमी का वजन कम होने लगता है कमजोरी आती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज का ब्लड इंफेक्शन बढ़ता जाता है यह कंट्रोल नहीं होता है लगातार वह कमजोर होता जाएगा।
उसके लिए सावधानियां बरतनी पड़ती है, यदि आराम नहीं मिलता है तो इसकी जांच जबलपुर में ही होती है इसके अलावा आसपास कोई सुविधा नहीं है जांच रिपोर्ट एक सप्ताह से 10 दिन के बीच मे आती हैं।उमरिया जिले में सैंपल 5 फरवरी से 28 फरवरी के बीच कलेक्ट किए गए उसकी रिपोर्ट की आई है, जिसमे 2 मौत हो चुकी है और एक गम्भीर हालत में जबलपुर में भरती है।
इस बीमारी में अगर लगातार लापरवाही करते रहेंगे तो इसमें एक से डेढ़ माह के अंदर आदमी की मौत होना सुनिश्चित इसके लिए अन्य दवाओं के साथ एंटीबायोटिक दिया जाता है।यह बीमारी छुआछूत से नहीं होती है, इसमें सबसे अधिक सावधानी रखनी है कि चूहा घर में न आने पाए और चूहों के जूठे या उसके यूरिन यह सबसे बचाव करके रखें। इसको ज़ूनिटिक डिजिज कहते हैं।हालांकि इसके लिए लगातार सैम्पल एकत्रित किये जा रहे हैं और लोगों को समझाइस दी जा रही है।