- तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसद और विजयवर्गीय विधायक बने तो रहेंगे सीएम पद की रेस में
- लाखों वोटों के अंतर से जीतने वाले सांसदों को विधानसभा पहुंचने लगाना होगा जोर
मनीष पाठक, भोपाल।
भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आई प्रत्याशियों की दूसरी सूची ने कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के कई नेताओं को हिला कर रख दिया है। लाखों वोटों के अंतर से जीत कर लोकसभा में पहुंचे सात सांसदों को विधानसभा की उन सीटों से प्रत्याशी बनाया गया है, जिन्हें पार्टी पिछले चुनाव में हार चुकी है। इनमें से कुछ सीटें भगवा पार्टी के लिए कठिन मानी जाती हैं। सीएम पद की रेस वाले तीन केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस बार छोटे चुनाव में उतारे गए हैं। पार्टी में चर्चा है कि सरकार बनने की स्थिति में इनमें से ही कोई नेता बीजेपी की केबीसी यानी “कौन बनेगा सीएम” गेम का विजेता साबित होकर उभरेगा।
लोकसभा की पहली पंक्ति में बैठने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तीन चुनाव बाद फिर विधानसभा का चुनाव लड़ंगे। तोमर को उनके संसदीय क्षेत्र मुरैना के दिमनी से प्रत्याशी बनाया गया है। प्रदेश भाजपा चुनाव अभियान समिति के संयोजक तोमर को मुख्यमंत्री पद का बड़ा दावेदार माना जाता है। प्रदेश अध्यक्ष रहते दो विधानसभा चुनावों में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार बनवाने का श्रेय उनके खाते में है। पिछले चुनाव में भी वे वर्तमान भूमिका में थे, लेकिन थोड़ी सीटों के अंतर से बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी।
सीएम रेस के दूसरे कंटस्टेंट प्रहलाद पटेल को उनके छोटे भाई जालम सिंह पटेल का टिकिट काटकर नरसिंहपुर से उम्मीदवार बनाया गया है। लोधी नेता प्रहलाद पर नरसिंहपुर जिले के साथ ही अपने संसदीय क्षेत्र दमोह की ज्यादातर सीटें दिलाने का जिम्मा रहेगा। पटेल का बालाघाट, सिवनी और जबलपुर जिले से लेकर प्रदेश के लोधी बहुल इलाकों में अच्छी पैठ है। पटेल को उम्मीदवार बनाने के पीछे पार्टी की मंशा लोधी वोटरों को साधना तो है ही, इसके साथ ही परिवारवाद के खिलाफ भी अपने रुख का आलाकमान ने बाकी नेताओं को स्पष्ट संकेत दे दिया है।
मुख्यमंत्री बनने की संभावित दौड़ में शामिल मालवा के भाई यानी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय राजनीति में लंबे समय तक सक्रियता के बाद हाल ही में प्रदेश में सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे थे। विजयवर्गीय को इंदौर की सबसे कठिन सीट इंदौर-एक से उम्मीदवार बनाया गया है। जिसे लेकर उन्होंने भी आश्चर्य जताया है। कैलाश अपने बेटे आकाश को दोबारा विधायक देखना चाहते थे, लेकिन प्रहलाद और जालम समीकरण के तहत आकाश विजयवर्गीय का टिकिट खटाई में पड़ता दिख रहा है। कैलाश विजयवर्गीय पर इंदौर संभाग सहित मालवा अंचल में भाजपा का कमल खिलाने का जिम्मा होगा।
जबलपुर के सांसद और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह भी लगातार दो बार पराजय वाली जबलपुर पश्चिम सीट के उम्मीदवार बनाए गए हैं। लोकसभा में सचेतक राकेश सिंह प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सीएम पद से आकांक्षी नेताओं की सूची में अपना प्रमुख स्थान बना चुके हैं। अब उन पर जबलपुर से खुद जीतने के साथ महाकौशल अंचल में कमल खिलाने का दायित्व आन पड़ा है। विंध्य के सीधी से रीती पाठक को केदारनाथ शुक्ला का टिकिट काट प्रत्याशी बनाया गया है। यहां पेशाब कांड से नाराज हुए ब्राह्मण मतदाताओं को साधने का जिम्मा भी उन पर होगा। यही नहीं, आम आदमी पार्टी की चुनौती का सामना करने का टास्क भी उन्हें दिया गया है। सतना सांसद गणेश सिंह को कुर्मी वोटों की जमावट के साथ ही मैहर के बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी की काट बनने का जिम्मा पार्टी ने दिया है। त्रिपाठी विंध्य विकास पार्टी बना कर पूरे विंध्य अंचल में अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। उनकी इस चेतावनी के बाद बीजेपी ने उनका टिकिट काट दिया। कांग्रेस से बीजेपी में आकर लगातार सांसद बनते रहे होशंगाबाद सांसद राव उदयप्रताप सिंह भी गाडरवाड़ा से विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार बनाए गए हैं।
आदिवासी वर्ग के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी मंडला जिले की निवास सीट से विधानसभा का रास्ता दिखाया जा रहा है। इस सीट पर पिछले चुनाव में कुलस्ते के भाई पराजित हो गए थे। कुलस्ते भी आदिवासी मुख्यमंत्री पद की रेस के प्रमुख दावेदार माने जाते हैं। बीजेपी आदिवासी वर्ग को साधने के लिए नित नए काम कर रही है। इस वर्ग को कुलस्ते के जरिए प्रदेश का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री का सपना दिखाया जा रहा है।
इन तमाम दावेदारों के बीच 18 साल के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मजबूत स्थिति में हैं। ‘एमपी के मन में मोदी’ टैग लाइन के साथ चुनाव अभियान के बीच बीजेपी को शिवराज और उनकी योजनाओं का सहारा है। यदि लाड़ली बहना योजना और सीखो कमाओ योजना का कार्ड चला तो शिवराज केबीसी की हॉट सीट पर पहुंचे बिना ही इस रेस के विजेता घोषित हो सकते हैं।
संभावना जताई जा रही है कि आगे आने वाली सूचियों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित कुछ और बड़े नेता तथा सांसदों को पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव पहले ही संकेत दे चुके हैं हैं कि बड़े नेताओं को ज्यादा अंतर से हारी हुई सीटों पर जीत हासिल कर खुद को साबित करना होगा। इस स्थिति में अनुमान लगाया जा सकता है कि पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही भाजपा के दिग्गज नेता मध्यप्रदेश की केबीसी के फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट तक तो पहुंच गए हैं, लेकिन इनमें से कुछ सीएम पद की हॉट सीट तक पहुंच पाएंगे या नहीं कहा नहीं जा सकता। जो चुनाव जीत जाएंगे उनमें शिवराज को शामिल करते हुए विजेता का फैसला आलाकमान करेगा।
क्या है 39 का गणित?
भाजपा की 39 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 17 अगस्त को आई थी, तब 39 प्रत्याशी घोषित कर पार्टी ने दावेदारों को नींद से जगा दिया थी। 25 सितंबर को जो दूसरी लिस्ट आई उसमें भी 39 प्रत्याशी हैं। इसके बारे में 13 सितंबर को केंद्रीय चुनाव समिति में चर्चा हुई थी। इसके बार मंगलवार को तीसरी लिस्ट में छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से मोनिका बट्टी का सिंगल नाम घोषित किया गया है