- पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने RTI कानून के तहत मांगा था जन्म प्रमाण पत्र
- पूर्व RTI चीफ शैलेष गांधी बोले- नहीं साबित कर पाऊंगा अपनी नागरिकता
- CAA-NRC को लेकर उठाए सवाल, कहा- अनाथ लोगों का क्या होगा
भारत के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने आरटीआई कानून के तहत अपने जन्म प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी थी, लेकिन वो विफल रहे. बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने अपने जवाब में कहा कि 1947 का जन्म पंजीकरण का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं. लिहाजा जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने ट्वीट किया, ‘मुझको अपनी नागरिकता साबित करने की चिंता हो रही है. मैंने अपने जन्म प्रमाण हासिल करने की कोशिश की, लेकिन विफल रहा. बीएमसी मेरे जन्म का सबूत नहीं खोज पाई है.’
72 वर्षीय शैलेष गांधी ने पिछले साल अपने जन्म प्रमाण पत्र के लिए आरटीआई लगाई थी. हालांकि बीएमसी के पास उनके जन्म का सबूत नहीं हैं. शैलेष गांधी भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के रहने वाले हैं. बीएमसी ने अपने जवाब में कहा कि वो उनको जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने में असमर्थ है. शैलेष गांधी ने ट्वीट कर उस समय यह जानकारी दी है, जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर बहस जारी है.
पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने अपनी नागरिकता साबित करने को लेकर ट्वीट किया और चिंता जताई. उन्होंने अपने ट्वीट के साथ बीएमसी द्वारा अक्टूबर 2019 में भेजे गए जवाबी लेटर को भी साझा किया. इसमें बीएमसी ने शैलेष गांधी से कहा कि उनका जन्म रजिस्टर नहीं है.
आजतक से खास बातचीत में शैलेष गांधी ने कहा, ‘जब मुझको बीएमसी का जवाब मिला, तो मैं हैरान रह गया कि मुंबई जैसी जगह में मुझे अपना प्रमाण पत्र नहीं मिल सका, तो उन लोगों का क्या होगा, जो अनाथ हैं या खानाबदोश हैं या फिर किसी हादसे में उनके दस्तावेज खो गए हैं? उन्होंने कहा कि एनआरसी के साथ सीएए नहीं होता तो सबको परेशानी उठानी पड़ती. अगर सीएए लाए बिना एनआरसी लाया जाता, तो काफी संख्या में लोग बाहर हो जाते. सीएए के आने से मुस्लिमों को परेशानी उठानी पड़ेगी.