नई दिल्ली:
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने यह फैसला किया है कि बीएसएनएल के 4G इक्विपमेंट को अपग्रेड करने के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. सरकारी सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने बीएसएनएल से कहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाए.
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विभाग ने इस संबंध में टेंडर पर फिर से काम करने का फैसला किया है. विभाग निजी मोबाइल सेवा ऑपरेटरों से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए भी विचार कर रहा है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों की नेटवर्क सुरक्षा हमेशा संदिग्ध होती है.
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियां अपने वर्तमान नेटवर्क में Huawei के साथ काम कर रही हैं, जबकि जेडटीई सरकारी बीएसएनएल के साथ काम करती है. सरकार का यह फैसला लद्दाख में भारी तनाव के बीच आया है. जब बीते सोमवार को चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए हैं. लगभग पांच दशकों में यह पहली बार है जब चीन के साथ नियंत्रण रेखा पर इस तरह की हिंसा हुई है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों की नेटवर्क सुरक्षा हमेशा संदिग्ध होती है.
2012 में अमेरिकी सांसदों की एक समिति ने चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए दूरसंचार नेटवर्क से साइबर जासूसी के खतरों की चेतावनी दी थी. उस वक्त सुझाव दिया गया था कि अमेरिकी कंपनियों को Huawei और जेडटीई के साथ व्यापार करने पर फिर से सोचना चाहिए. इसके बाद चीनी कंपनियों ने इन आरोपों का खंडन किया था.
दो साल बाद, संसद को बताया गया कि चीनी कंपनी Huawei ने कथित तौर पर बीएसएनएल नेटवर्क को हैक कर लिया है और सरकार इस मामले की जांच कर रही है.
फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान, मुकेश अंबानी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि रिलायंस जियो के आगामी 5G नेटवर्क में एक भी चीनी नेटवर्क हिस्सा नहीं होगा. अंबानी ने ट्रम्प को बताया था कि रिलायंस जियो दुनिया का एकमात्र नेटवर्क है जो चीनी उपकरणों का उपयोग नहीं करता है. Jio के पास अपने 4G और 5G नेटवर्क दोनों के लिए नेटवर्किंग पार्टनर के रूप में साउथ कोरिया का सैमसंग है.
बता दें कि 4G अपग्रेड किया जाना बीएसएनएल के रिवाइवल पैकेज का हिस्सा है. इस साल की शुरुआत में बीएसएनएल और सरकार के बीच खींचतान रही. बीएसएनएल का कहना था कि दूसरे नेटवर्कों की तरह उसे भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उपकरण चाहिए वहीं केंद्र सरकार देसी कंपनियों से उपकरण लेने पर जोर दे रही थी.
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