नई दिल्ली। इसरो ISRO अपने मून मिशन Chandrayaan-3 को 23 अगस्त की शाम 05:30 बजे से 06:30 बजे के बीच चांद की सतह पर उतारने जा रहा है। Chandrayaan-3 का लैंडर किसी भी समय चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर सकता है। वैसे सही समय 06:04 बजे है,वजह ये है कि लैंडर पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। वह लैंडिंग की जगह खुद खोजेगा फिर लैंड करेगा। ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि हम जिस समय विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतार रहे हैं। उस समय धरती पर शाम होगी लेकिन चांद पर सूरज उग चुका होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लैंडर को 14 से 15 दिन सूरज की रोशनी मिले। ताकि वह ढंग से सारे साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स कर सके। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि वो सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेकर चंद्रमा पर एक दिन बिता सके। चंद्रमा का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है, लेकिन ये नहीं कह सकते कि इन दोनों में से कोई दोबारा काम न कर सके। संभव है कि दोबारा सूरज निकलने पर ये दोनों फिर से सक्रिय हो जाएं। क्योंकि एक बार सूरज डूबा तो लैंडर और रोवर को ऊर्जा नहीं मिलेगी, वो काम करना बंद कर देंगे। इसरो के टेस्ट ये बताते हैं कि लैंडर और रोवर की बैट्री में इतनी ताकत है कि दोबारा सूरज निकलने पर वो चार्ज होकर काम करने लगें। ऐसा अगले 14 दिन या उससे थोड़ा ज्यादा समय में संभव है। फिलहाल, चंद्रयान-3 की हालत एकदम सही है।
आपको बता दें कि चंद्रयान-2 के लैंडर की असफल लैंडिंग के चार साल बाद यह पहला मौका है, जब यह बड़ा प्रयास फिर से किया जा रहा है। लैंडिंग के बाद विक्रम के पेट का दरवाजा खुलेगा। उसके बाद उसके अंदर से प्रज्ञान रोवर बाहर आकर अपने एक्पेरिमेंट्स पूरे करेगा।