रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में सोशल-इकोनोमी इंडेक्स के अध्ययन के आधार पर नई नीतियां तैयार की जाएंगी। इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के साथ लोगों के आर्थिक सुदृड़ीकरण की दिशा में काम होगा। मुख्यमंत्री बघेल अपने अमेरिका प्रवास के दौरान बोस्टन में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी (एमआईटी) व सोलन स्कूल आॅफ मेनेजमेंट के प्रोफेसर स्काॅट स्टर्न और सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव के सीईओ माइकल ग्रीन से चर्चा कर रहे थे। सीएम बघेल शनिवार (15 फरवरी) को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर भी देंगे।
प्रोफेसर स्काॅट स्टर्न और सीईओ माइकल ग्रीन से हुई मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य के इकोनाॅमिक व सोशल इंडेक्स, सोशल इकानाॅमी सर्वे और सोशल आॅडिट सहित विभिन्न विषयों के बारे में बताया। प्रदेश के लेकर यह चर्चा इस लिए भी खास रही कि इसके पहले इस विषय पर इतने बड़े स्तर में सोशल इकोनाॅमिक इंडेक्स के अध्ययन पर काम नहीं किया गया था। इस दौरान प्रो. स्काॅट स्टर्न ने आर्थिक-सामाजिक इंडेक्स के सर्वे के आधार पर एक प्रजेंटेशन भी दिया।
इसके जरिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के आर्थिक विकास पर अध्ययन कर उनके विकास के लिए नए प्रोग्राम और नीति तैयार करने में मदद मिलेगी। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास हो सके और लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। इसका मकसद प्रमुख रूप से रोजगार उपलब्ध कराना और एक वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से आर्थिक सुधार पर कार्य करने के लिए बेहतर उपाय करना है। वहीं मुख्यमंत्री बघेल ने सरकार की ओर से चलाए जा रहे सुपोषण अभियान, हाॅट-बाजार, शहरी स्लम में चलित अस्पताल, बस्तर क्षेत्र में 15 सालों से बंद 300 स्कूलों को फिर से शुरू करने की जानकारी दी।
हार्वर्ड में लेक्चर देने वाले छत्तीसगढ़ के पहले सीएम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश के पहले सीएम हैं, जिन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय से भारत सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। सीएम बघेल को ‘लोकतांत्रित भारत में जाति और राजनीति’ विषय पर व्याख्यान देंगे। साथ ही छत्तीसगढ़ में कृषि व उससे संबंधित क्षेत्र में हुए अभिनवकारी पहल पर अपने अनुभवों को नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के समक्ष साझा करेंगे। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को प्रदेश की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना ने इतना प्रभावित किया है कि उन्होंने प्रदेश में अध्ययन व शोध की अपनी इच्छा भी प्रकट की है। वहीं, विश्वविद्यालय के छात्र वर्षा जल का संचय कर भूजल स्तर बढ़ाने की विधियों पर शोध करेंगे।