Thursday, November 7, 2024
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Chhattisgarh News In Hindi : Bhupesh Baghel Chhattisgarh Govt Rice Scheme Updaets: Rice Sold To Millers, wholesale traders For Rs 16 to 18 KG | 1 रुपए में मिलने वाला गरीबों का चावल खरीद रहे दलाल, नए पैकेट में भरकर बेच रहे 28 रुपए में

  • दैनिक भास्कर की टीम ने किया स्टिंग ऑपरेशन, राइस मिलर और दुकानों तक पहुंच रहा पीडीएस का  चावल 
  • सरकारी राशन दुकानों में मिलने वाले पीडीएस योजना के चावल को पॉलिश कर बेचने का है मामला 

Dainik Bhaskar

Feb 20, 2020, 12:01 PM IST

दुर्ग. सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना के तहत गरीबों को बांटा जाने वाला चावल, कुछ मुनाफाखोरों के लिए मोटी कमाई का जरिया बन चुका है। दुकानों से सांठ-गांठकर दलाल इसे खरीद रहे हैं, 16 से 18 रुपए में मिलर या थोक कारोबारियों को इसे बेचा जा रहा है। इसके बाद पॉलिश करवा कर उसी चावल को नए पैकेट में भरकर 28 रुपए तक बाजार में बेचा जा रहा है। सरकारी योजना के इस चावल को सिर्फ गरीब जरूरतमंद राशनकार्ड धारियों के लिए उपयोग किया जाता है। इसका व्यापारिक इस्तेमाल गैर कानूनी है। इस पूरे खेल को दैनिक भास्कर की टीम ने स्टिंग के तहत रिकॉर्ड किया। 

रिपोर्टर ने खरीदा और बेच दिया चावल 
इस स्टिंग में स्टेशन मरोदा एचएससीएल कॉलोनी के सहकारी उपभोक्ता उचित मूल्य की दुकान से बीपीएल हितग्राही कार्ड से चावल खरीदा। उसके बाद चावल ले जाकर यहां के विजय किराना दुकान में बेचा गया। 16 रुपए प्रति किलो के हिसाब से पीडीएस का चावल के पैसे दुकानदार ने दिए। यहां सोसायटी में एक दलाल भी मिला। जो सप्ताहभर का चावल किश्तों में परिवहन कर रहा था। जिले में लगातार गड़बड़ी सामने आ रही है।  सुपेला मार्केट में एक वाहन में भरा चावल पीडीएस का ही मिला, दुकानदारों ने इसे यहां नए सिरे से पैकिंग कर मार्केट में खपाने के लिए भेजा। दुर्ग में पीडीएस का चावल के खरीदी-बिक्री के बड़े ठिकाने हैं। जामुल क्षेत्र में इसके कई बड़े कारोबारी हैं।

ऐसे होता है गरीबों के चावल का कारोबार 
दुकानदार की मानें तो राइस मिलर पीडीएस चावल को 18 रुपए प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं । पीडीएस का चावल मोटा होता है। इसलिए उसे राइस मिलों में मशीन से छिलाई कर पतला करते हैं। पालिश कर चमक लाई जाती है। यही चावल बाजार में वापस आता है और 28 रुपए किलो में बिकता है। जिला खाद्य विभाग कार्डधारियों की संख्या के हिसाब से सोसायटियों को चावल का आबंटन हर महीने देता है। बीपीएल के एक परिवार को एक रुपये में 35 किलो चावल और बीपीएल को 10 रुपये प्रति किलो चावल के हिसाब से खाद्य विभाग आबंटन भेज देता है। एपीएल में एक बार राशन ले जाने के बाद हितग्राही दूसरे महीने नहीं ले जाते। यही बचा हुआ चावल आसानी से बेच दिया जाता है। 

अफसर बोले इन्हें पकड़ना मुश्किल 

स्टिंग के बाद दैनिक भास्कर ने जिला खाद्य नियंत्रक सीपी दिपांकर से इस पूरे प्रकरण के बारे में बात की गई। पूछा गया कि पीडीएस चावल की कालाबाजारी हो रही है, विभाग क्या कर रहा है? इस पर अधिकारी ने उल्टे पूछा-  कहां बिक रहा है। आप जानकारी दे सकते हैं क्या। सुना तो हमने भी है, मगर कैसे पकड़ें कार्रवाई थोड़ी मुश्किल है, हमारी टीम सोसायटियों में जाकर स्टॉक हेर फेर होने पर कार्रवाई करती है। इसके लिए प्लानिंग करने की जरूरत है। हम कार्रवाई करेंगे।


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