Friday, November 8, 2024
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Chhattisgarh News In Hindi : Chhattisgarh Sitapur Class 8th Student Girl Wins Marathon With No Shoes | सपना ने बिना जूते के जीती मैराथन, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान के लिए रेत पर प्रैक्टिस कर रहीं

  • कक्षा 8वीं में पढ़ती हैं सपना, गरीबी इतनी कि डाइट के लिए नदी से मछलियां पकड़ उन्हें सुखाकर रखती
  • कहती हैं- बड़ी धावक बन गई तो खेल कोटे से मिलेगी सरकारी नौकरी, शिक्षिका बनकर और भी धावक  तैयार करेंगी

Dainik Bhaskar

Feb 06, 2020, 03:32 PM IST

अंबिकापुर. सरगुजा जिले के सीतापुर में कक्षा 8वीं में पढ़ने वाली सपना अपने अरमानों को पूरा करने के लिए हर रोज नदी के किनारे रेत पर 3 से 4 किमी दौड़ती है। मकसद साफ है- उसे देश का नंबर एक धावक बनना है। इन सबके बीच उसकी गरीबी आड़े न आ जाए, इसलिए डाइट पूरी करने के लिए सहेलियों के साथ नदी में मछली पकड़ती है। जब मछलियां ज्यादा हो जाती हैं तो उन्हें सुखाकर आगे के लिए रख लेती है। जिला स्तरीय मैराथन में क्वालीफाई करने के लिए सपना जूतों के टूटने पर सिर्फ मोजे पहनकर दौड़ी और विजेता बन गई।

स्कूल के शिक्षक से मिली प्रेरणा, कक्षा 6 से ही शुरू की दौड़ने की तैयारी

  1. सीतापुर विकासखंड के ग्राम भिठवा निवासी सपना तिग्गा ने विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान पाया। अब वह जिला स्तरीय मैराथन में भाग लेगी। सपना ने बताया कि वह जब कक्षा 6 में थी, तभी से धावक बनने की तैयारी कर रही है। स्कूल के शिक्षक संस्कृतन एक्का ने उसे दौड़ने के लिए अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से वह अपनी सहेलियों के साथ हर सुबह जल्दी उठती है और कभी स्कूल ग्राउंड में तो कभी घर से कुछ दूर स्थित मांड नदी के किनारे रेत में दौड़ती है। 

  2. जूते टूट गए तो नंगे पैर दौड़ लगाई

    सपना ने बताया कि वह धावक के रूप में नाम कमाने के बाद शिक्षिका बनना चाहेगी। जब वह बच्चों को पढ़ाएगी तो धावक बनने के लिए प्रेरित करेगी जैसा कि उसके शिक्षक ने किया। कहती हैं कि खेल में नाम कमाओ तो खेल कोटे से सरकारी नौकरी मिल जाती है। उसने बताया कि वह पिछले साल जब कक्षा सात में थी तब जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने अंबिकापुर गई थी, लेकिन उसमें वह कोई स्थान नहीं बना सकी। अब प्रतियोगिता में पहला स्थान बनाने हर रोज नदी की रेत में दौड़कर तो पसीना बहा रही है।

  3. जूते टूट गए तो नंगे पैर दौड़ लगाई

    सपना ने बताया कि सीतापुर में हुई ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में भले ही उसे पहला स्थान मिला है, लेकिन उसने बिना जूते के ही दौड़ लगाई। उसके जूता कुछ दिन पहले ही टूट गए थे। उसे पता था कि प्रतियोगिता होने वाली है, लेकिन पैसा नहीं होने के कारण उसके परिजन जूते खरीदकर नहीं दे सके। उसने बताया कि वह जब पिछले साल जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने गई थी तब भी नंगे पैर ही दौड़ लगाई थी।

  4. स्कूल की तरफ से करते हैं मदद

    सपना के अंदर जूनुन है, वह जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने मेहनत कर रही है। अभावों में भी वह बेहतर प्रदर्शन कर रही है। आर्थिक रूप से उसका परिवार कमजोर है। स्कूल की तरफ से हम लोग उसका साथ देंगे।

    संस्कृतन एक्का, शिक्षक, पूर्व माध्यमिक स्कूल, भिठवा


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