- नक्सलियों ने 1 फरवरी को मोहन की हत्या कर दी थी, तब दंतेवाड़ा एसपी ने गोपनीय सैनिक मानने से किया था इंकार
- भास्कर के खुलासे और आदिवासियों के प्रदर्शन के बाद बैकफुट पर आई पुलिस, एसडीओपी ने स्वीकार किया
Dainik Bhaskar
Feb 19, 2020, 01:40 PM IST
नकुलनार. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में मारे गए गोपनीय सैनिक मोहन भास्कर को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए आदिवासियों ने मोर्चा खोल दिया है। आदिवासियों के प्रदर्शन और दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गई है। एसडीओपी ने मोहन को गोपनीय सैनिक स्वीकार करते हुए 35 लाख रुपए का मुआवजा परिवार को दिलाने की बात कही है। इससे पहले एसपी ने मोहन को गोपनीय सैनिक मानने से इनकार कर दिया था। मोहन की एक फरवरी को नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।
दरअसल, मोहन भास्कर की मौत के बाद दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने उसे गोपनीय सैनिक मानने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दैनिक भास्कर ने मोहन की वर्दी पहनी तस्वीरों के अलावा नक्सली ऑपरेशन में आधुनिक हथियार लेकर शामिल होने वाली तस्वीरें प्रकाशित की थी। इसी बीच एक दिन पहले बड़ी संख्या में आदिवासियों ने अरनपुर में मोहन भास्कर नागरिक था या गोपनीय सैनिक था बताने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद अब पुलिस बैकफुट में आ गई है।
एसडीओपी ने लिखकर दिया ग्रामीणों को
मोहन भास्कर की पहचान को लेकर आदिवासियों ने अरनपुर में आंदोलन की शुरूआत की और प्रशासन से पूछा कि मोहन कौन था आम नगारिक था या गोपनीय सैनिक था। गोपनीय सैनिक था तो उसे शहीद का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद एसडीओपी चंद्रकांत गवर्ना ने ग्रामीणों को लिखित में दिया कि मोहन गोपनीय सैनिक था और निर्वाचन आयोग से 30 लाख रुपए और पांच लाख रुपए दूसरे मद से मुआवजा दिलवाया जा रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों ने फर्जी गिरफ्तारी बंद करने, नए कैंप खोलने का विरोध किया है।
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