- दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली भाजपा की हार के बाद गृहमंत्री के बयान को लेकर बोले पूर्व सीएम
- पूर्व कैबिनेट मंत्री के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
Dainik Bhaskar
Feb 12, 2020, 06:22 PM IST
रायपुर. दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे और भाजपा की हार के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए गृहमंत्री के बयान को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि दिल्ली के शाहीन बाग का करंट अमित शाह को लगा है। दिग्विजय सिंह बुधवार रायपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात कर रहे थे। वे पूर्व कैबिनेट मंत्री और सरगुजा की पूर्व रियासत की सदस्य रहीं देवेंद्र कुमारी सिंहदेव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि अमित शाह ने कहा था कि इतनी जोर से बटन दबाइए की शाहीन बाग तक उसका करंट पहुंचे। इस पर महबूबा की बेटी ने अच्छा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अच्छा बटन दबाया और करंट उनको लग गया है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि यह अच्छा संकेत है। वे सारी शक्तियां जो धर्म के नाम पर नफरत फैलाती हैं, जिन लोगों ने नागरिकता कानून का राजनीतिक इस्तेमाल करने का प्रयास किया है, पूरे देश में इनका सफाया हो रहा है।
जो पार्टी भाजपा को हरा सकती थी, जनता का वोट उधर शिफ्ट हुआ
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकसभा में हमें आप से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन लगता है कि राज्य के चुनाव में लोगों ने उस व्यक्ति और उस पार्टी को वोट दिया जो भाजपा को हरा सकता था। दिल्ली की जनता का वोट आप की तरफ शिफ्ट हो गया। सीएए को लेकर कहा कि निश्चित तौर पर वापस लेना चाहिए, मैं तो शुरू से यह मांग करता आया हूं। एनआरसी नहीं लगाने की घोषणा करनी चाहिए। अगर यह लागू हो गया तो अशांति और बढ़ेगी। फिर न रोजगार बढ़ेगा और न निवेश आएगा।
रसोई गैस के बढ़े दाम को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश की आर्थिक हालात खराब है। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। अर्थव्यवस्था पर से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है। जीएसटी के कलेक्शन कम होने से जो राज्यों का कंपनशेसन राज्यों को मिलना था वह नहीं मिला। राज्य सरकारों के प्रति बहुत बड़ा धोखा है। राज्यों का हक छीनने का अधिकार केंद्र सरकार को नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण को अपने बजट में जहां से काटना है काटें, लेकिन राज्य सरकारों का जो वैधानिक अधिकार है उसमें कमी नहीं करना चाहिए।