- जीएसटी को मिले बोगस बिलिंग के सबूत करीब 100 कारोबारियों को आज से नोटिस
- राजधानी में करोड़ों रुपए के फर्जी बिल जारी करने वाली फर्में, पहले भी हो चुकी कार्रवाई
Dainik Bhaskar
Feb 07, 2020, 04:57 AM IST
रायपुर (असगर खान). राजधानी में फर्जी बिलिंग के गोरखधंधे का तीन साल बाद फिर खुलासा हुअा है। पिछले 48 घंटे के भीतर 5 सराफा कारोबारियों पर हुए अायकर सर्वे में बड़ी संख्या में फर्जी बिल तो मिले ही हैं, सेंट्रल जीएसटी ने दो दिन पहले रायपुर एयरपोर्ट से जिस कारोबारी को हिरासत में लिया था, उससे भी फर्जी बिलों को लेकर तगड़ा इनपुट मिला है। इस अाधार पर सेंट्रल जीएसटी ने राजधानी में फर्जी बिलों से जुड़े करीब 100 कारोबारियों के पहचान कर ली है। या तो उनके फर्जी बिल मिले हैं, या उन्होंने फर्जी बिल उपयोग किए हैं। ऐसे सभी कारोबारियों को शुक्रवार से नोटिस दिया जाने लगा है।
5 हजार से ज्यादा कंपनियों के फर्जी बिल पकड़े
राजधानी में फर्जी बिल का धंधा किस स्तर पर ही, यह जानने के लिए भास्कर ने कारोबारियों के बीच पड़ताल की तो बड़े खुलासे हुए। राजधानी और आसपास के पतों पर 5 हजार से ज्यादा फर्जी कंपनियों और फर्मों के बिल राज्य और केंद्र की टैक्स एजेंसियों ने पकड़े हैं। इनमें से कई ऐसी हैं, जिन्होंने एक ही बार बड़े बिल जारी किए, रिटर्न भरा और उसके बाद बरसों से गायब हैं। राइस मिल, कंस्ट्रक्शन, सराफा, अनाज, सीमेंट और बिल्डिंग मटेरियल में करोड़ों के फर्जी बिल पहले ही पकड़े जा चुके हैं। तीन साल पहले भैंसथान और अासपास छापेमारी में अायकर विभाग ने एक फर्म का ही खुलासा कर दिया था, जिसका काम फर्जी बिल बनाकर कारोबारियों में बेचना था। ये बिल पश्चिम बंगाल समेत 4 राज्यों के कारोबारियों को बेचे गए थे।
एजेंसी गंभीरता से चेक नहीं करती
जानकारों का कहना है कि फर्जी बिलों का कारोबार इसलिए जोरों पर है क्योंकि कोई भी एजेंसी इसे गंभीरता से चेक नहीं करती। सेंट्रल और स्टेट जीएसटी के अफसर भी जब तक पुख्ता प्रमाण नहीं मिले, सर्वे भी शुरू नहीं करते। इसलिए यह गोरखधंधा बड़ा स्वरूप ले रहा है।
बोगस बिलिंग और राजधानी कनेक्शन के बारे में वह सब जो अाप जानना चाहते हैं
दैनिक भास्कर की पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक खास सिंडीकेट केवल फर्जी बिल बनाने का ही काम कर रहा है। इसके लिए व्यापारियों और ठेकेदारों से 2 से 5 फीसदी तक की रकम वसूल की जा रही है। इस सिडींकेट के ग्राहक हर कारोबार में हैं। अनाज कारोबार से जुड़ी दर्जनभर कंपनियों का भांडा अायकर विभाग ने 2017 में फोड़ा था। ज्वेलर्स पर अायकर के ताजा सर्वे में एक करोड़ से ऊपर से फर्जी बिल मिल चुके हैं। जीएसटी अफसरों का दावा है कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में पड़े छापों में जो फर्जी बिल पकड़े गए, उनमें एक-एक बार में छत्तीसगढ़ के 150-150 करोड़ रुपए तक के फर्जी बिल थे। इसकी जांच अब तक चल रही है। अनुमान है कि केवल राजधानी में टैक्स चोरी के लिए 5000 से ज्यादा फर्जी कंपनियां काम कर रही हैं। यह कंपनियां फर्जी बिल तो बनाती ही हैं, कारोबार भी बदलती रहती हैं।
आसानी से समझिए इस गोरखधंधे को
मान लीजिए एक व्यक्ति सोने के जेवर खरीदने ज्वेलर्स की दुकान पर जाता है। वहां उसे 50 हजार रुपए का सोना खरीदा, लेकिन परिचय और पैसे बचाने के लिए उसने बिल नहीं लिया। चूंकि कारोबारी ने कुछ माल बिल के साथ खरीदा है, इसलिए उसकी वैध बिक्री भी दिखानी है। तब वह किसी और कारोबारी को आपके नाम का 50 हजार रुपए का बिल देगा। ग्राहक के नाम से बिल लेने वाला कारोबारी इस पैसे को अपने खाते में दिखा देगा, जिससे उसके पैसे वैध हो जाएंगे। पहला कारोबारी जिसने ग्राहक के नाम से बिल भिजवाया, उसे दूसरा व्यापारी 3 फीसदी कैश भी देगा क्योंकि सोने पर इतना ही जीएसटी है।
धंधा शक्कर का, बिल रुई के
छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में कई शक्कर कारोबारियों के पास रूई यानी कॉटन के फर्जी बिल मिले। जांच में पचा चला कि शक्कर के नाम पर खरीदे गए इन बिलों को एक से दूसरी कंपनी में ले जाते हुए कॉटन यानी रुई के बिल में बदल दिया जाता है। आखिरी में रुई की बिक्री दिखाकर बिल किसी और को कमीशन पर बेच देते हैं। शक्कर और कॉटन पर एक समान यानी 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। लिहाजा लंबे रोटेशन के बाद पता नहीं चलता कि चीनी की खरीदी दिखाकर बाद में कॉटन की बिक्री कर दी गई।
ट्रांसपोर्टिंग में चल रहा है बड़ा रैकेट
जीएसटी बचाने के लिए फर्जी बिलिंग में ट्रांसपोर्टर सब पर हावी हैं। माल के ट्रांसपोर्टेशन के साथ इस बात की गारंटी भी माफिया ले रहा है कि बिना ई-वे बिल के माल पहुंचा देंगे। जीएसटी को छापों में यह प्रमाण मिल चुके हैं कि ट्रांसपोर्टरों ने ई-वे बिल के बिना माल पहुंचाने के लिए कारोबारियों के प्रति क्विंटल के हिसाब से अलग रकम वसूली। जांच में प्लाईवुड कारोबार भी घेरे में है, क्योंकि यहां मिले ढाई सौ से ज्यादा बिल ऐसे हैं, जिसमें प्लायवुड का कारोबार करने वाली बड़ी कंपनियां खुद ही खरीदार बन गईं। कागजों में माल दूसरे शहर से अाया, लेकिन हकीकत में यह न कहीं से अाया और न कहीं गया। अफसरों ने कहा कि गोलमाल इंटरस्टेट है, इसलिए बड़ा खुलासा बाकी है।
सारे रिटर्न खंगाल रहे हैं
स्टेट जीएसटी आयुक्त रमेश शर्मा ने कहा कि जीएसटी चोरी और फर्जी बिलिंग के संकेत हैं और सारे रिटर्न खंगाल रहे हैं। राज्य में जहां से भी इनपुट मिले हैं, हमने सर्वे किया है। टैक्स चोरी के कई तरीके सामने आचुके हैं।
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