एमआईसी में विभाग बंटवारे की राजनीति शुक्रवार को भी गर्म रही। महापौर ने गोपनीय बैठक कर नाराज एमआईसी मेंबरों को मनाने की रणनीति बना संपर्क किया। हालाकि नाराज मेंबर अभी तक माने नहीं है। आपसी तालमेल न बैठ पाने के बाद दोपहर को महापौर ने सचिव के माध्यम से सदन की पहली बैठक का अमंत्रण(सूचना) जारी कर दिया। पहली बैठक 11 फरवरी को दोपहर 12 बजे होगी।
एमआईसी में विभाग बंटवारे के बाद एमआईसी मेंबरों की नाराजगी को लेकर शुक्रवार सुबह से ही महापौर ने पार्टी नेताओं के साथ मंथन कर मान मनौव्वल शुरू की। दोपहर तक चली बैठक के बाद कोई हल नहीं निकला। पार्टी के कई नेताओं ने सलीम नि यारिया और संजय देवांगन से चर्चा कर मानमनौव्वल करनी चाही। इस पर सलीम ने पारिवारिक समस्याओं के चलते रायपुर से वापस लौट कर आने के बाद ही महापौर और विधायक से चर्चा करने की बात कही।
संजय भी अपनी बात पर अडिग रहे। एमआईसी के दोनों मेंबरों का रुख पक्ष में न देख दोपहर बाद महापौर ने सदन की पहली बैठक के लिए घोषणा कर दी। जिसके बाद नगर निगम सचिव ने सभी मेंबरों को 11 फरवरी को दोपहर 12 बजे होने वाली एमआईसी बैठक के लिए आमंत्रण भेजा है।
}वर्चस्व की लड़ाई
निगम में वर्चस्व की लड़ाई साफ झलकने लगी है। सभापति के लिए संजय देवांगन, सलीम नियारिया और जयंत ठेठवार प्रबल दावेदार थे पर पार्टी में सांठगांठ की राजनीति में सलीम और संजय को जगह नहीं मिली। एमआईसी में अच्छा ओहदा देकर शांत कराया गया पर पार्टी नेता दोनों को कमजोर करते गए। विभाग बंटवारे में इन लोगों से सलाह नहीं ली गई। जबकि सूची फाइनल होने के दौरान सभापति जयंत ठेठवार, विधायक, महापौर और एक पार्टी के कद्दावर शामिल रहे। पार्टी जानकारों की माने तो पद की लड़ाई नहीं बल्कि वर्चस्व की जंग चल रही है।
संजय बाहर हुए तो रमेश को मिल सकती जगह
एमआईसी में विभाग बंटवारे से नाराज चल रहे संजय देवांगन मानने को तैयार नहीं है। पार्टी जानकारों की माने तो शुक्रवार को संजय और सलीम को मनाने का दौर चला। लेकिन बात न बनने पर महापौर ने एमआईसी में फेरबदल के संकेत दिए है। संजय का अगर इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया तो आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले रमेश भगत को एमआईसी में जगह मिल सकती है। इसको लेकर कर शुक्रवार को नगर निगम में मंथन भी चलता रहा। वहीं विरोध की स्थित बढ़ती देख महापौर किनारा करती रहीं।