ग्राम कन्हारपुरी में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में गुरुवार को पंड़ित निरंजन महराज ने भगवान कृष्ण की माखनचोरी व बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि माखन चोरी का रहस्य मन की चोरी होता है। कन्हैया ने माखन नहीं चुराया अपने भक्तों का चंचल मन चुराया है। जब भी धरती पर पापाचार बढ़ते हैं भगवान किसी न किसी रूप में धरती पर अवतार लेते हैं। श्रीकृष्ण अवतार में भगवान में अपनी मनोहर लीलाओं के जरिए भक्ति एवं प्रेम का मार्ग दिखाया।
कर्मयोगी कृष्ण ने संदेश दिया कि अगर हम सच्चे दिल व पवित्र हृदय से भगवान पर विश्वास करते है, तो पालनहार हर संकट में प्राणी मात्र की रक्षा के लिए तत्पर रहता है। हमें अपने इस भौतिक शरीर में उत्पन्न बुराइयों को समाप्त करके कृष्ण को आत्मसमर्पण करना चाहिए। हरि के शरण में जाकर मनुष्य जन्म को सार्थक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक जीवन में जीव भाव रूपी उपासना नहीं करता, श्रद्धा नहीं करता है, गुरुजनों के बताए मार्ग पर नहीं चलता है, तब तक आनंद रूपी सुख-शांति प्राप्त नहीं कर सकता। कृष्ण प्राप्ति का सरल उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवत प्रेम, श्रद्धा, श्रवण मनन से ही सब संभव होगा। इन सबसे जब जीव सम्पन्न होता है। निरंजन महराज ने बालकृष्ण के दर्शन को आए भगवान शंकर के साथ माता यशोदा के बीच हुए संवाद का वर्णन भी किया। माता यशोदा के साथ नटखट क्रीड़ा, गोपियों के साथ खेल-खेल में बीच जमुना में जाकर कालिया नाग का मर्दन का प्रसंग भी सुनाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। मनुष्य को जीवन में सदैव धर्म व सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गोमाता को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ पशु माना गया है। भगवान ने यदु वंश में अवतार लिया।
कृष्ण ने मुख में ब्रह्मांड का दर्शन कराया
कथा के दौरान पूतना वध सहित अन्य राक्षसों के वध का वृतांत सुनाया। भगवान श्रीकृष्ण ने जब यशोदा मां को माटी खाने के बहाने मुख में ब्रह्मांड का दर्शन कराया। उसके बाद यशोदा को अहसास हो गया कि उनका लाल कोई साधारण नहीं बल्कि परम ब्रह्म अवतार हैं। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म का समाचार मिलते ही कंस बौखला गया। उसने अपने सेनापतियों को आदेश दिया कि पूरे राज्य में दस दिन के अंदर पैदा हुए सभी बच्चों का वध कर दिया जाए। इधर नंद बाबा के घर कृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में उत्सव मनाया जा रहा था। पूतना अपने स्तनों में जहर लगाकर बालक कृष्ण को पिलाने के लिए मनोहारी स्त्री का रूप धारण कर आई।
कन्हारपुरी में प्रवचन के दौरान कृष्ण जन्म की झांकी दिखाई गई।
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