- तिल्दा के गांव सड्डू में विचाराधीन बंदी नरेंद्र यादव ने जीता चुनाव
- पत्नी की आत्महत्या मामले में बंद हैं रायपुर सेंट्रल जेल में
Feb 12, 2020, 02:17 PM IST
रायपुर. जिले के तिल्दा के गांव सड्डू में हुए पंचायत चुनावों ने राज्य को पहला ऐसा सरपंच दिया, जिसने चुनाव जेल में रहकर लड़ा। वह खुद प्रचार के लिए भी आ सका उसके समर्थन में जनता सड़कों पर उतरी।
इस उम्मीदवार का नाम योगेंद्र यादव है। योगेंद्र पत्नी की आत्महत्या के मामले में रायपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी है। साल 2015 में हुए चुनाव में भीद योगेंद्र ने सरपंच पद पर जीत हासिल की थी। इनके पुराने विकास कार्यों को देख जनता ने पूरा समर्थन दिया और दोबारा सरपंच बनाया। बुधवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में योगेंद्र पेरोल पर अपने गांव आए लोगों से मुलाकात की 17 पंचों के साथ शपथ ली।
जो कभी नहीं हुआ वह कर दिखाया
सड्डू गांव के लोगों ने बताया कि 5 साल पहले जब नरेंद्र सरपंच बने तब उनकी उम्र 25 साल थी। युवा सरपंच ने गांव में कुछ ऐसे काम करवाए जो अब तक किसी सरपंच ने नहीं करवाया था। इनमें सिंचाई की परेशानी दूर करने नाले से गांव के तालाब को जोड़ना, नहर का पानी गांव तक पहुंचाना, 3 हजार पौधरोपण, स्टेडियम निर्माण , विद्युत कनेक्शन, तालाब का गहरीकरण जैसे काम शामिल हैं। गांव में पानी की समस्या अब पूरी तरह से दूर हो चुकी है। इस वजह से लोगों ने नरेंद्र को दोबारा मौका दिया। नरेंद्र के मुकाबले में 5 उम्मीदवार और थे करीब 800 वोट नरेंद्र को मिले और वह जीत गया।
6 महीने में नहीं मिली जमानत तो दोबारा होंगे चुनाव
जानकारी के मुताबिक नरेंद्र यादव के प्रकरण में सुनवाई अपने आखिरी चरण में है। साल 2017 में नरेंद्र की शादी तिल्दा की सुनीता यादव से हुई थी। किसी वजह से सुनीता ने आत्महत्या कर ली थी। घटना के 3 महीने बाद युवती के परिजनों ने योगेंद्र के खिलाफ शिकायत की, इसी के चलते वह फिल्हाल जेल में है। योगेंद्र के परिजनों ने बताया कि विपक्षी नेताओं के बहकावे में आकर यह केस उसपर कियाउ गया। युवती की मौत से योगेंद्र का सम्बंध नहीं है। अब नियमों के मुताबिक यदि 6 महीने में नरेंद्र को जमानत नहीं मिलती तो दोबारा चुनाव कराए जा सकते हैं।